ब्रह्मचर्य तीन प्रकार का होता है लघु मध्यम और उत्तम लघु ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा में 24 वर्ष की आयु तक जितेंद्र रहकर विद्यालय करूंगा मैं अपनी वीरता उत्तम शक्ति का विकास और रक्षा करता हुआ अपने जीवन में शुभ गुण धारण करूंगा मैं इस अवस्था में विवाह नहीं करूंगा उत्तम शिक्षा ग्रहण कर लूंगा मैं अपनी आचार से और गुरुजनों के चरणों में रहकर शरीर में आत्मा का विकास करूंगा जो युवक 44 वर्ष तक अविवाहित और जितेंद्र रहकर शरीर में आत्मा का विकास करता है वह मध्यम पुजारी होता है इसी प्रकार उत्तम ब्रह्मचर्य का पालन 48 वर्ष तक किया जाता है ब्रह्मचर्य के लिए साधन आदर्श निम्नलिखित हैं
युवक कम से कम 25 वर्ष तक और युक्तियां 18 वर्ष तक अविवाहित रहे तपस्या और संयम का जीवन व्यतीत करें अपनी इंद्रियों और इच्छाओं को बस में रखें
1.कानों से बुरी बात ना सुने अब तो उत्तम उपदेश सुने आंखों से सद ग्रंथ पड़े हैं संतो के दर्शन करें भक्ति देश भक्ति मानव प्रेम और वीरता जगाने वाले दृश्य का चित्र देखें
2.स्त्रियां पुरुषों के रूप को और पुरुषों स्त्रियों के रूप को वासना की दृष्टि से ना देखें
3.नाक से हम शुद्ध हवा का उपयोगकरें और इन आदि खूबसूरत पदार्थों का सेवन करें त्वचा से हम गर्मी सर्दी से शरीर की रक्षा करें और पुरुष स्त्रियों का स्पर्श ना करें स्त्रियां पुरुषों का इस प्रकार अपनी इंद्रियों को वश में कर लेता है उसका मन ही नहीं भटकता
4.सत्य विद्या व श्रेष्ठ पुरुषों को पढ़ें और पढ़ाएं
कठोर परिश्रम करें अनुशासन का पालन करें गुरुजी गुरुजनों का माता-पिता की आज्ञाकारी बने
सत्य बोले शक्तिमान सत्य करें लोभ लालच छोड़कर स्वाध्याय करें
5.अपने मित्रों और लोगों का संग करें
6.मास मास सिगरेट जुआ पदार्थों का सेवन ना करें
7.सादा जीवन उच्च विचार का आदर्श अपना है