//रस//
प्रष्नः-1 रस किसे कहते है।उत्तर- परिभाषा-किसी काव्य को पढने या सुनने से जो आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहते है।
प्रष्नः-2 रस के भेद लिखिए ।
उत्तर -रस के चार भेद होते है
1. स्थाईभाव 2. अनुभाव 3. विभाव 4. संचारी भाव
प्रष्नः-3 स्थाईभाव किसे कहते है।
उत्तर - मनुष्य के ह्रदय में जो स्थाई रूप से निवास करते है उसे स्थाई भाव कहलाते है।
प्रष्नः-4 विभाव किसे कहते है।
उत्तर - मनुष्य के ह्रदय में सोए हुये भावो को जाग्रत करने वाले भाव को विभाव कहते है।
प्रष्नः-5 अनुभाव किसे कहते है।
उत्तर -मनुष्य के ह्रदय की षारीरिक चेष्टाओ को अनुभाव कहते है।
प्रष्नः-6 संचारीभाव किसे कहते है।
उत्तर -मनुष्य के ह्रदय में जो भाव पानी के बुल बुलो की तरह बनते और बिगडते है उसे संचारी भाव कहते है।
प्रष्नः-7 रस की निस्पत्ति कैसे होती है।
उत्तर -सह्रदय के ह्रदय में स्थित स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब रस की निस्पत्ति होती है।
प्रष्नः-8 रस के प्रकार एवं स्थाईभाव लिखिए
उत्तर - रस स्थाईभाव
श्रंगार - रति
हास्य - हास्य
करूण - षोक
वीर - उत्साह
भयानक - भय
रौद्र - क्रोध
वीभत्य - घृणा
अदभुत - आष्चर्य
षान्त - निर्वेद
वात्सल्य - स्नेह
प्रष्नः-9 श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित रति नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब श्रंगार रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण- फेली खेतो मे दूर तलक मखमल सा कोमल हरियाली ।
लिपटी जिसमे रव की किरणे चाॅदी जैसी उजली जाली ।
प्रष्नः-10 श्रंगार रस के प्रकार लिखिए
उत्तर - श्रंगार रस के दो प्रकार होते है।
1. स्ंायोग श्रंगार रस 2. वियोग श्रंगार रस
प्रष्नः-11 संयोग श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - यहाॅ काव्य में नायका नायिका के संयोग की स्थिति का वर्णन होता वहाॅ संयोग श्रंगार रस होता है।
उदाहरण - राम का रूप निहारत जानकी कंकन के नग की परिछाई ।
याते सबे सुधि भूल गई कर टेकि रही पल टारत नाही ।
प्रष्नः-12 वियोग श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - यहाॅ काव्य में नामका नायिका के वियोग का वर्णन किया जाता है उसे वियोग श्रंगार रस कहते है।
उदाहरण -हे मृग हे खग हे मधुकर श्रेणी।
तुम देखी सीता मृग नयनी।
प्रष्नः-13 हास्य रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित हास्य नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब हास्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - मे ऐसा सूर वीर हूॅॅ पापड तोड सकता हूॅ।
गुस्सा यदि आ जाये तो कागज को मोड सकता हूॅ।
प्रष्नः-14 करूण रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित षोक नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब करूण रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - देखि सुदामा की दीन दषा करूणा करिके करूणानिध रोये ।
प्रष्नः-15 वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित उत्साह नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वीर रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - बुन्देलो हर बोलो के मुॅह हमने सुनी कहानी थी।खूब लडी मर्दानी वह तो झाॅसी वाली रानी थी।
प्रष्नः-16 रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित क्रोध नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब रौद्र रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब षोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे।
प्रष्नः-17 भयानक रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित भय नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब भयानक रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - एक ओर अजगरे लखि एक ओर मृगराय।
बिकल बटोही बीच में परओ मूर्छा खाय।
प्रष्नः-18 वीभत्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित घृणा नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वीभत्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - सिर पर बैठो काग आॅखे दोउ खात निकारत।
खीचत जीवहि स्मार अतिहि आनन्द उप धारत।
प्रष्नः-19 अद्भुत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित आष्चर्य नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब अद्भुत रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - ऐसी वाणी बोलिए मन का भावा खोए।
ओरो को षीतल करे आपहु षीतल होय।
प्रष्नः-20 वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित स्नेह नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वात्सल्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - बच्चे की तोतली बोली स्नेह जगाती मन मे।
हसने रोने की लीला रोमांच बडाती तन मे।
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