पद्य साहित्य का विकास
//व्याकरण//
प्रष्नः-1 आधुनिक कविता के विकास क्रम को कितने युगो में बाॅटा गया है।
उत्तर - काल समय
भारतेन्दु युग - सन 1856 से 1900 तक
द्विवेदी युग - सन 1900 से 1920 तक
छायावादी युग - सन 1920 से 1936 तक
प््रागतिवादी युग - सन 1936 से 1943 तक
प्रयोगवादी युग - सन 1943 से 1950 तक
नई कविता सन 1950 से आज तक
प्रष्नः-2 वीरगाथा काल की विषेषताए लिखिए।
उत्तर - वीरगाथा काल की निम्नलिखित विषेषताए है
1. वीर रस की प्रधानता
2. आश्रय दाताओ की प्रधानता एवं यष ज्ञान
3. इतहासिक घटनाओ का चित्रण
4. श्रंगार रस के साथ साथ अन्य रसो की प्रधानता
5. संजीव युग का वर्णन
प्रष्नः-3 वीरगाथा काल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
चन्द्रवरदायी - पृथ्वीराज रासो
नरपति नाह - वीसल देव रासो
दानपति विजय - खुमान रासो
विद्यापति - कीर्ति लता
खुसरो - खुसरो की पहेलिया
प्रष्नः-4 भक्ति काल किसे कहते है इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -परिभाषा- भक्तिकाल में अधिकतर कवियो ने भगवान की भक्ति से ओढ-प्रोढ होकर भगवान श्री कृष्ण और श्रीराम के प्रति कविताये लिखि इस को भक्ति काल कहते है।
विषेषताएः-
1. साकार में एवं निराकार ब्रम्ह जी
2. रहस्यवाद कविता का प्रारम्भ
3. समस्त काव्य षैलियो का प्रयोग
4. उध्यात्मिकता औश्र सदाचार की प्रणय
5. प्रेम और सौन्दर्य का चित्ररण
प्रष्नः-5 भक्ति काल कितने भागो मे बाॅटा गया है।
उत्तर - भक्ति काल को दोे भागो मे बाॅटा गया है
1. सगुण भक्ति धारा 2. निर्गुण भक्ति धारा
प्रष्नः-6 निर्गुण भक्ति धारा को कितने भागो में बाॅटा गया है।
उत्तर - निर्गुण भक्ति धारा को दो भागो में बाॅटा गया है
1. ज्ञानमार्गी षाखा 2. प्रेममार्गी षाखा
प्रष्नः-7 सगुण भक्ति धारा को कितने भागो में बाॅटा गया है।
उत्तर- सगुण भक्ति धारा को दो भागो में बाॅटा गया है
1. रामभक्ति षाखा 2. कृष्णभक्ति षाखा
प्रष्नः-8 निर्गुण भक्तिधारा के ज्ञानमार्गी षाखा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएॅ लिखिए ।
उत्तर - कवि रचनाएॅ
कबीरदास - बीजक
रैदास - रैदास के पद
सुन्दरदास - सुन्दर विलास
गुरूनानक देव - गुरूवाणी
प्रष्नः-9 प्रेममार्गी षाखा के प्रमुख कवि ओर उनकी रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
जायसी - बीजक
कुतवन - पदमावत
उसमान - चित्रावली
मझंन - मधु मालती
प्रष्नः-10 सगुण भक्ति धारा के राममार्गी षाखा के प्रमुख कवि ओर रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
रसखान - रसखान की सवैया
तुलसीदास - रामचरित्रमानस
रहीम - दोहीवली ष्
स्वामी अग्रदास - राम ध्यान मन्जरी
प्रष्नः-11 कृष्ण मार्गी षाखा के प्रमुख कवि ओर रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
मीराबाई - मीरा के पद
सूरदास - सूरसागर , सूरासारावली
नरोत्मदास - सुदामा चरित्र
रसखान - प्रेम वाटिका
प्रष्नः-12 भारतेन्दु युग की विषेषताए लिखिए
उत्तर - 1. देष प्रेम की रचनाए के माध्यम से राष्ट्रिता की भावनाओ का विकास
2. सामाजिक चेतना का विकास
3. अंग्रेजी षिक्षा का विकास
4. विभिन्न काव्य भावो का प्रयोग
5. राष्ट्रीय भावना ,भक्ति भावना , प्रकृति चित्रण का प्रयोग
प्रष्नः-13 भक्ति काल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग कहा जाता है।
उत्तर -कविता में जगतनियता जीवन मानवता के स्वर्ण भूजने लगे इन तत्वो के प्रकाष में इस युग जिस नीति काव्य की रचना हुई है उसमे सामाजिक सदाचार का मार्ग प्रषास्त किया इस काल में राजनैतिक सस्कृतिक सामसजिक और धार्मिक सभी क्षेत्रो का विकास हुआ उत्कर्ष साहित्य लेखन,समाज,सुधार सार्कता आदि के कारण ही इस काल को हिन्दी साहित्य का भक्तिकाल कहा जाता है।
प्रष्नः-14 प्रगतिवादी किसे कहते है इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर - परिभाषा - प्रगतिवाद का अर्थ है आगे बढना तथा जो विचार धारा हमे आगे बढने की प्रणा देती है उसी को हम प्रगतिवाद कहते है जो समाज मे व्यस्त व्यर्थ आडम्बर परम्पराओ को समाप्त कर समानता का बल देती हैै।
विषेषताए-
1. इस काव्य में रूढीवादी विचार धाराओ का जमकर विरोध किया गया है
2. प्रगतिवाद काव्य में षोषण के प्रति घृणा तथा षोषित बर्ग के प्रति दया एवं करूणा का भाव प्रदर्षित किया गया है
3. इस काव्य में नारी को पुरूष के सम्मान अधिकार दिलाने तथा इस बंधन से युक्त कराने का प्रयास किया गया है
4. नारी के प्रति आधार भाव प्रकट किया गया है।
प्रष्नः-15 प्रगतिवादी कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
सूर्यकान्तत्रिपाठी निराला - कुकुरमुता
रामधारीसिह दिनकर - करूक्षेत्र
सुमित्रानन्दन पंत - युगवाणी
केदारनाथ अग्रवाल - फूल नही रंग बोलते है।
प्रष्नः-16 प्रयोगवादी किसे कहते है एवं विषेषताए लिखिए
उत्तर -परिभाषा - यह कविता जिसमे प्रयोग के नाम पर भाव विचार प्रतिक्रिया अंलकार आदि सभी में परिवर्तन किया जाता है उसे प्रयोगवाद कहते है।
विषेषताए-
1. प्रयोगवादी कवियो ने पुराने एवं प्रचलित उपमानो के स्थान पर नवीन उपमानो का प्रयोग किया है।
2. जीवन के वास्तविक रूप का अर्थात चित्रण प्रस्तुत किया है।
3. भाव विचार छन्द अंलकारो को में नवीन प्रयोग किया है ।
4. नई नई भाषाओ का मिश्रिक रूप से दिखाया गया है।
5. इस युग की कविता ह्रदय की न होकर मस्तिक की देन है।
प्रष्नः-17 प्रयोगवादी कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
धर्मवीर भरती - अन्धायुग
सर्वेस्वर दयाल सक्सैना - एक सूनी नाव
गिरजा कुमार माथुर - धूप की धान
गजानन्द माधव मुक्ति बोध - चाॅद का मुह टेडा
प्रष्नः-18 छायावाद किसे कहते है एवं विषेषताए लिखिए
उत्तर -परिभाषा -जब परमात्मा की छाया आत्मा पर पडती है और आत्मा की छाया परमात्मा लगे तो हम उसी छाया को छायावादी कहते है।
विषेषताए-
1. छायावादी कवियो ने अपनी कविताओ मे और कहानियो मे नारी की सुन्दरता का वर्णन किया हैै
2. छायावादी कवियो नंे प्रकृति की सुन्दरता का वर्णन किया है।
3. छायावादी कवियो ने आलौगिक प्रेम का वर्णन किया है।
4. छायावादी कवियो ने वेदना और निराषा की भावना का चित्रण किया है।
5. छायावादी काव्य मे नवीन छन्दो का अंलकारो का प्रयोग किया गया है।
प्रष्नः-19 छायावादी कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
महादेवी वर्मा - नीरजा
सुमिन्त्रानन्दन पंत - युगवाणी
जयषंकर प्रसाद - कामायनी
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला - परिमल
प्रष्नः-20 प्रयोगवादी और प्रगतिवादी काव्य मे अन्तर लिखिए
उत्तर-
प्रयोगवादी
प्रगतिवादी
इनमे जीवन के प्रति यर्थातवादी दृष्टि कोण की प्रधानता है।
इनमे जीवन के प्रति यर्थातवादी दृष्टि कोण है।
काव्य में नवीन विम्बयोजना एवं नये षब्दो का प्रयोग हुआ है।
काव्य में साधारण बोल चाल की भाषा का प्रयोग किया है।
इसमे कुण्डलो और वाचनाओ को चितरित किया गया है।
इसमे रूढी वादी विचार धाराओ का प्रयोग किया गया है।
मध्यम वर्ग के आक्रोष को दर्षाया गया है।
षोषित वर्ग के प्रति सहानभूति दर्षाई गई है।
प्रष्नः-21 नई कविता की विषेषताए
उत्तर- 1. प्रयोेग में नवीनता 2. अनूभूतियो का वास्तविक चित्रण 3. नई कविता के हरक्षण को सत्य कहलाती है 4. नई कविता की वाणी अपने परिवेष के जीवन के अनुभव पर आधारित है 5. नई कविता में लघुमानक को स्वीकार करती है।
प्रष्नः-22 नई कविता के कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
भवानीप्रसाद मिश्र - सन्नाटा
जगदीश गुप्त - नाव के पाव
युक्ति बोध - चाॅद का मुह टेढा
धर्मवीर भरती ्- अन्धायुग
प्रष्नः-23 छायावादी और रहस्यवादी में अन्तर लिखिए
उत्तर -
छायावादी
रहस्यवादी
इसमे हम अपनी ही आत्मा के दर्षन करते हैै।
इसमे हम ईष्वर की आभा के दर्षन करते है।
इसमे कल्पना की प्रधानता होती है।
इसमे चिन्तन की प्रधानता होती है।
इसमे भावना की प्रधानता होती है।
इसमे ज्ञान और बुद्धि की प्रधानता होती हैं
यह काव्य प्रकृति मूलक है।
यह काव्य दर्षानिक मूलक है।
इसमे प्रमुख कवि सुमित्रानन्दन पंत और महादेवी वर्मा है।
इसके प्रमुख कवि राजकुमार वर्मा और जयषंकर प्रसाद है।
प्रष्नः-24 रहस्यवादी किसे कहते है इसके प्रमुख कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर- परिभाषा:- वेदो मे उषा ,मेघ, सर्ता आदि के वर्णन में अव्यक्त परमात्मा के स्वरूप को लक्ष्य किया गया है। यह प्रकृति और जगत का रहस्यवाद कहलाता है।
कवि रचनाएॅ
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला - अनामिका
जयषंकर प्रसाद - झरना
सुमित्रानन्दन पंत - वीणा
महादेवी वर्मा - नीरजा
प्रष्नः-25 रहस्यवाद की विषेषताये लिखिए
उत्तर -1. विरह वेदना की अभिव्यक्ति 2. इसमे चिन्तन की प्रधानता है 3. इसकी प्रकृति दार्षिनिक मूलक है 4. इसमे ज्ञान और बुद्धि की प्रधानता है 5. इस कविता मे अप्रस्तुत योजना की नूतनता है।
प्रष्नः-26 रीतिकाल का परिचय दीजिए
उत्तर - रीतिकाल का श्रंगार काल भी कहते है इस काल मे चरण और भान्तो के द्वारा अपने आश्रय दाताओ की प्रषंसा युद्ध आखेट का वर्णन नारी की सुन्दरता का चित्रण लक्ष्य ग्रथो की रचना इस काल मंें प्रमुख रूप से हुई है। इस काल की रचनाओ को रीति ग्रन्थ कहा जाता है।
प्रष्नः-27 रीतिकाल कीे प्रमुख विषेषताए कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर -1. इस काल के लक्षण ग्रन्थो की रचना प्रमुख रूप से हुई है 2. कविता में श्रंगार रस की प्रधानता है 3. नायका के नक सिक का वर्णन 4. ब्रजभाषा का प्रयोग 5. प्रकृति का अधिपन रूप का चित्रण।
कवि रचनाएॅ
विहारी - विहारी सतसई
केषवदास - राम चन्द्रिका
भूषण - षिवा बावनी
पद्माकर - जगत विनोद
//गद्य साहित्य का विकास//
प्रष्नः-1 यात्रावृत किसे कहते है
उत्तर -इसमे लेखक विषेष दर्षानिक स्थलो को देखकर वर्णन करता है उसे यात्रावृत कहते है।
यात्रावृत यात्रावृतकार
देष -विदेष - रामधारीसिह दिनकर
आखरी चिन्ह तक - मोहन राकेष
प्रष्नः-2 रेखाचित्र किसे कहते है रेखाचित्र और रेखा चित्रकारो के नाम लिखिए
उत्तर - रेखाचित्र षब्द दो षब्दो से मिलकर बना है रेखा $ चित्र से मिलकर बना है इसमे लेखक किसी वर्णन के भक्ति के उपर कहानी लिख कर भक्ति के मान भावो को रेखा और चित्रो द्वारा प्रकट करता है उसे रेखाचित्र कहते है।
रेखाचित्र रेखाचित्रकार
फेरीवाला - महादेवी वर्मा
नीव की ईट - रामवृक्ष बेनीपुरी
प्रष्नः-3 नाटक की परिभाषा एवं नाटक और नाटककारो के नाम लिखिए
उत्तर - नाट क एक दृष्य काव्य है जिसका आनन्द रंग मंच पर अभिनाभ देखकर लिया जाता है लेकिन आनन्द की पूर्ण अनुभूति रंग मंच पर देखकर होती है।
नाटक नाटककार
अन्धेरे - भरतेन्दु हरिषचन्द्र
झाॅसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा
विक्रमादित्य - उदयषंकर भट्ट
लहरो का हंस - मोहन,राकेष
प्रष्नः-4 नाटक के तत्व लिखिए है
उत्तर - 1. कथा वस्तु 2. संवाद 3. चरित्र चित्रण 4. भाषा षैली 5. अभिनिता 6. उद्देष
प्रष्नः-5 कहानी की परिभाषा लिखिए
उत्तर - कहानी मे जीवन के सुन्दर एवं महत्वपूर्ण छणो का चित्रण होता है जिसे सुनकर श्रोता की आनन्द प्राप्त होता है उसे कहानी कहते है।
प्रष्नः-6 कहानी एवं कहानीकारो के नाम लिखिए
कहानी कहानीकार
पुरूषकार - जयषंकर प्रसाद
उसके कहा था - चन्द्र षर्मा गुलेरी
पूस की रात - मुषीप्रेम चन्द्र
पंचपरमेष्वर - मुषीप्रेम चन्द्र
प्रष्नः-7 कहानी के तत्व लिखिए है
उत्तर - 1.कथानक 2. चरित्र चित्रण 3. संवाद 4. भाषा षैली 5. उद्देष 6. देषकाल वातावरण
प्रष्नः-8 गंद्य की गौण विधाओ के नाम लिखिए
उत्तर - 1.जीवनी 2. संस्मरण 3. आत्मकथा 4. यात्रावृत 5. महाकाव्य 6. रिर्पोताज 7. डायरी 8. भेटवार्ता
प्रष्नः-9 जीवनी किसे कहते है जीवनी और जीवनीकारो के नाम लिखिए
उत्तर - जीवनी का तात्पर्य है किसी महानभक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक की सभी घटनाओ का वर्णन किया जाता है।
जीवनी जीवनीकार
कमल का सिपाही - अमृत रावा
निराला की साहित्य साधना - डाॅ रामविलास षर्मा
आवारा मसीहा - विष्णुप्रभाकर
प्रष्नः-10 आत्मकथा किसे कहते है आत्मकथा और आत्मकथाकारो के नाम लिखिए
उत्तर - भाषा के माध्यम से अपने आप पर विती हुई बातो का लिखना ही आत्मकथा कहलाता है।
आत्मकथा आत्मकथाकारो
कुछ आप बीती कुछ जग बीती - भारतेन्दु हरिषचन्द्र
मेरी आवष्यकतायें - बाबू गुलाब राय
मेरी आत्मकहानी - चर्तुसेन षास्त्री
प्रष्नः-11 निबन्ध किसे कहते है निबन्ध और निबन्धकारो के नाम लिखिए
उत्तर -आचार्य रामचन्द्र षुक्ल के अनुसार आदि गद्य कवियो व लेखको की कसौटी है। तो निबंध गद्य की कसौटी है इसका आषय है कि निबन्ध से गद्यकार के लेखक की उत्कृष्टता का ज्ञान होता है।
निबन्ध निबन्धकारो
चिन्तामण्डी - आचार्य रामचन्द्र षुल्क
सम्प्रदायिकता औश्र राष्ट्रीयता - बाबू गुलाब राय
क्या लिखू - अदुम्मलाल ,पुन्नालाल
मै मजदूर हूॅ - डाॅ भगवतषरण उपाध्याय
प्रष्नः-12 निबन्ध के तत्व लिखिए
उत्तर- 1.कथानक 2. चरित्र चित्रण 3. संवाद 4. भाषा षैली 5. उद्देष 6. देषकाल वातावरण 7. पात्र योजना।
प्रष्नः-13 भारतेन्दु युग के निबन्धो की विषेषताए लिखिए
उत्तर - 1. समाज सुधार की भावना 2. राष्टीयता व देष प्रेम की भावना 3. अन्धविष्वासे व रूढियो पर प्रहार 4. व्यगाांत्मक भाषा षैली का प्रयोग।
प्रष्नः-14 द्विवेदी युग के निबन्धो की विषेषताए लिखिए
उत्तर - 1.विषय वस्तु की गम्भीरता 2. समाज सुधार की भावना 3. हास्य व्यगांत्मक ष् षैली का प्रयोग 4. हास्य परिनिस्तता
प्रष्नः-15 निबन्ध के गद्य की कसौटी को क्या कहते है।
उत्तर - यह कथन आचार्य रामचन्द्र षुक्ल जी का है इसका अभिप्राय है कि पद्य की अपेक्षा गद्य लिखना बहुत ठीक क्योकि 10 पक्तियो वाले काव्य मे अगर एक ही बात अच्छी लिख जाती तो कवि प्रषंसा का भावी होता है परन्तु गद्य के सन्दर्भ में ऐसा नही देखा जाता है गद्य का एक एक विचार सदपूर्ण नही होता है तो गद्य लेखको की प्रषंसा नही की जाती है इसलिए गद्य में निबंध लिखना कठिन काम होता हैइसके विचार की तारतम्मता रोचकता स्वच्छता आत्मीयता आदि का समावेष होता हैइसी लिए निबंध को गद्य की कसौटी कहते है।
प्रष्नः-16 हिन्दी में उपन्याय सम्राट किसे कहते है एवं अनेक उपान्यासो के नाम लिखिए
उत्तर - हिन्दी मे प्रेमचन्द्र को उपन्यास सम्राट कहा जाता है वास्तव में प्रेमचनद्र के अवतरण के साथ हिन्दी उपन्यास को षसक्त प्रतिभा का प्रभाव षाली माना जाता है। प्रेमचन्द्र ने नवजात उपन्यास को पूर्ण विकास तक पहुचाया और विषय तथा सिल्क दोनो दृष्टियो मे उपन्यास साहित्य को सिद्ध किया है इन्होने उपन्या समे मानव की समस्याओ को सुधार कर राजनैतिक सामाजिक उनके समाधान दिये है इसलिए हिन्दी में प्रेमचनद्र जी को उपन्यास सम्राट कहा जाता है।
उपन्यास के नाम - गोदन , कर्मभूमि, रंगभूमि,सेवासदन,कर्वला आदि
प्रष्नः-17 जीवनी और आत्मकथा में अन्तर लिखिए
उत्तर -
जीवनी
आत्मकथा
जीवनी लेखक द्वारा लिखी जाती है।
आत्मकथा स्वयं के द्वारा लिखी जाती है।
जीवनी में किसी दूसरे का चरित्र चित्रण किया जाता है।
आत्मकथा में लेखक स्वयं के बारे में लिखता है।
जीवनी किसी महापुरूष के जीवन पर आधारित होती है
आत्मकथा में लेखक अपनी कथा लिखता है
जीवनी सत्य घटना पर आधारित है।
आत्मकथा काल्पनिक भी हो सकती है।
ज्ीवनी संक्षिप्त होती है।
आत्मकथा में विस्तार होता है।
प्रष्नः-18 रेखाचित्र की विषेषताए लिखिए
उत्तर- 1.रेखाचित्र काल्पनिक हो सकता है 2. रेखा चित्र किसी भी साधारण विषय पर लिखा जा सकता है 3. रेखाचित्र विस्तृत होता है 4. रेखा चित्र रंगचित्र न होकर षब्द चित्र होता है।
प्रष्नः-19 सस्मरण किसे कहते है।
उत्तर - सस्मरण का तात्पर्य है। सस्मक स्मरण आर्य जब लोषक स्वयं की अनुभूति की गई घटनो को व्यक्ति या वस्तु का याचिर्का वर्णन करता है तो वह सस्मरण कहलाता है।
प्रष्नः-20 संस्मरण के लेखक ओर उनकी रचनाए लिखिए
उत्तर- लेखक रचनाए
पदमसिह षर्मा - अकबर इलावादी
षिवरानी देवी - प्रेमचन्द्र घर में
उपेन्द्रनाथ - मंटी मेरा दुष्मन
महादेवी वर्मा - पथ के साथी
प्रष्नः-21 उपन्यास और कहानी में अन्तर लिखिए
उपन्यास
कहानी
उपन्यास में मुख्य कथा के साथ साथ प्राषंसिक कथाए भी होती हैं।
कहानी मे केवल एक ही कथा होती है।
उपन्यास सम्पूर्ण जीवन को लक्ष्य बनाकर लिखा जाता है।
क्हानी में किसी जीवन की किसी भी घटना पर वर्णन किया जाता है।
उपन्यास का आकार बडा है।
कहानी का आकार छोटा होता है।
उपन्यास को पढने मे अधिक समय लगता है।
क्हानी को पढने मे कम समय लगता है।
उपन्यास मे पात्रो की संख्या अधिक होती है।
कहानी को पढने में कम समय लगता है।
प्रष्नः-22 रिर्पोताज किसे कहते है उसके लेखक एवं रचनाओ को लिखिए
उत्तर - रिर्पाेताज फ्रासीसी षब्द है जो अंग्रेजी के रिर्पोट षब्द से बना है रिर्पोताज का संबंध वर्तमान से होता है ऐ सूचनात्मक एवं तरगांत्मक होती है।
लेखक रचनाऐ
धर्मवीर भारती - युद्धयात्रा
समशेर बहाुदर - प्लाट का मोर्चा
भगवती षरण उपाध्याय - खून के छीटे
कन्हैयालाल मिश्र - कण बोले क्षण मुस्कराये
प्रष्नः-23 रिर्पोताज की विषेषताए लिखिए
उत्तर- 1.यह किसी घटना का वास्तविक वर्णन होता है
2. इसमे घटना का विवेचन तथा विष्लेषण होता है।
3. रिर्पोताज मे रेखाचित्र ,कहानी तथा निबन्धो की विषेषताए भी पाई जाती है।
4. इसमे सरलता रोचकता प्रभाव पूर्णत एवं आत्मीयता के गुण पाये जाते है।
5. रिर्पोताज लेखक अपनी अनुभूति को अनन्त निखरे रूप में प््रास्तुत कर दूसरो को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
प्रष्नः-24 नाटक और एकांकी में अन्तर लिखिए
उत्तर-
नाटक
एकांकी
नाटक मे अनेक अंक होते है।
एकाकी में केवल एक ही अंग होता है।
नाटक विस्तृत होता है।
एकाकी संक्षिप्त है।
नाटक में मुख्य कथाओ के साथ साथ अन्य गोढ कथाये भी होती है।
एकांकी में केवल एक कथा होती है।
नाटक मे स्थान ,घटना ओर समय की एकता पर बल दिया जाता है।
एकांकी में सफल तत्वो पर बल दिया जाता है।
नाटक दृष्य काव्य का बडा रूप है।
जब की एकांकी दृष्य काव्य का छोटा रूप है।
प्रष्नः-25 सस्मरण और रेखाचित्र में अन्तर लिखिए
सस्मरण
रेखाचित्र
सस्मरण मे अनुभूति का स्मृति के आधार पर चित्रण होता है।
रेखाचित्र में साकेतिकता के आधार पर चित्रण होता है।
सस्मरण वास्तविक होता है।
जबकि रेखाचित्र काल्पनिक होता है।
सस्मरण संक्षिप्त होता है
रेखाचित्र विस्तृत होता है।
संस्मरण किसी महान व्यक्ति या किसी विषेष घटना से संबंधित है।
रेखाचित्र किसी भी साधारण विषम पर लिखा जा सकता है।
संस्मरण में लेखक तटस्थ नही रहता है।
रेखाचित्र में लेखक पूर्ण तरह तटस्थ होता है।
//रस//
प्रष्नः-1 रस किसे कहते है।
उत्तर- परिभाषा-किसी काव्य को पढने या सुनने से जो आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहते है।
प्रष्नः-2 रस के भेद लिखिए ।
उत्तर -रस के चार भेद होते है
1. स्थाईभाव 2. अनुभाव 3. विभाव 4. संचारी भाव
प्रष्नः-3 स्थाईभाव किसे कहते है।
उत्तर - मनुष्य के ह्रदय में जो स्थाई रूप से निवास करते है उसे स्थाई भाव कहलाते है।
प्रष्नः-4 विभाव किसे कहते है।
उत्तर - मनुष्य के ह्रदय में सोए हुये भावो को जाग्रत करने वाले भाव को विभाव कहते है।
प्रष्नः-5 अनुभाव किसे कहते है।
उत्तर -मनुष्य के ह्रदय की षारीरिक चेष्टाओ को अनुभाव कहते है।
प्रष्नः-6 संचारीभाव किसे कहते है।
उत्तर -मनुष्य के ह्रदय में जो भाव पानी के बुल बुलो की तरह बनते और बिगडते है उसे संचारी भाव कहते है।
प्रष्नः-7 रस की निस्पत्ति कैसे होती है।
उत्तर -सह्रदय के ह्रदय में स्थित स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब रस की निस्पत्ति होती है।
प्रष्नः-8 रस के प्रकार एवं स्थाईभाव लिखिए
उत्तर - रस स्थाईभाव
श्रंगार - रति
हास्य - हास्य
करूण - षोक
वीर - उत्साह
भयानक - भय
रौद्र - क्रोध
वीभत्य - घृणा
अदभुत - आष्चर्य
षान्त - निर्वेद
वात्सल्य - स्नेह
प्रष्नः-9 श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित रति नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब श्रंगार रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण- फेली खेतो मे दूर तलक मखमल सा कोमल हरियाली ।
लिपटी जिसमे रव की किरणे चाॅदी जैसी उजली जाली ।
प्रष्नः-10 श्रंगार रस के प्रकार लिखिए
उत्तर - श्रंगार रस के दो प्रकार होते है।
1. स्ंायोग श्रंगार रस 2. वियोग श्रंगार रस
प्रष्नः-11 संयोग श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - यहाॅ काव्य में नायका नायिका के संयोग की स्थिति का वर्णन होता वहाॅ संयोग श्रंगार रस होता है।
उदाहरण - राम का रूप निहारत जानकी कंकन के नग की परिछाई ।
याते सबे सुधि भूल गई कर टेकि रही पल टारत नाही ।
प्रष्नः-12 वियोग श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - यहाॅ काव्य में नामका नायिका के वियोग का वर्णन किया जाता है उसे वियोग श्रंगार रस कहते है।
उदाहरण -हे मृग हे खग हे मधुकर श्रेणी।
तुम देखी सीता मृग नयनी।
प्रष्नः-13 हास्य रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित हास्य नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब हास्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - मे ऐसा सूर वीर हूॅॅ पापड तोड सकता हूॅ।
गुस्सा यदि आ जाये तो कागज को मोड सकता हूॅ।
प्रष्नः-14 करूण रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित षोक नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब करूण रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - देखि सुदामा की दीन दषा करूणा करिके करूणानिध रोये ।
प्रष्नः-15 वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित उत्साह नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वीर रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - बुन्देलो हर बोलो के मुॅह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लडी मर्दानी वह तो झाॅसी वाली रानी थी।
प्रष्नः-16 रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित क्रोध नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब रौद्र रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब षोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे।
प्रष्नः-17 भयानक रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित भय नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब भयानक रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - एक ओर अजगरे लखि एक ओर मृगराय।
बिकल बटोही बीच में परओ मूर्छा खाय।
प्रष्नः-18 वीभत्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित घृणा नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वीभत्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - सिर पर बैठो काग आॅखे दोउ खात निकारत।
खीचत जीवहि स्मार अतिहि आनन्द उप धारत।
प्रष्नः-19 अद्भुत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित आष्चर्य नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब अद्भुत रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - ऐसी वाणी बोलिए मन का भावा खोए।
ओरो को षीतल करे आपहु षीतल होय।
प्रष्नः-20 वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित स्नेह नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वात्सल्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - बच्चे की तोतली बोली स्नेह जगाती मन मे।
हसने रोने की लीला रोमांच बडाती तन मे।
//छन्द//
प्रश्नः-1 छन्द किसे कहते है।
उत्तर- कविता की स्वयंभावित गति का नियम बृद्धरूप छनद कहलाता है इसमे वर्ण, मात्रा, यति, गति, तुक आदि का ध्यान रखा जाता है।
प्रश्नः-2 छन्द कितने प्रकार के होते है।
उत्तर- छन्द दो प्रकार के होते है 1. माात्र्रिक छन्द 2.वार्णिक छन्द
माात्र्रिक छन्द- जिन छन्दो मे गणना मात्राओ द्वारा आधर पर की जाती है उसे मात्र्रिक छन्द कहते है। जैसे- सोर्ठा, दोहा ,चैपाई, छप्पय छन्द आदि।
वार्णिक छन्द - जिन छन्दो में गणना वर्णो के आधार पर की जाती है।
प्रश्नः-3 कक्ति छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण में 16 ओर 15 के विराम से 31 वर्ण होते है अन्त चरण में गुरू होंता है
उदाहरण - सच्चे हो पुजारी प्यारे तुम प्रेम मन्दिर के ।
उचित नही है तुम्हे दुःख से करायना ।।
करना पडे जो आम्तत्याग अनुराग बस ।
तो तुमे संहर्ष निज भाग की सराहना ।।
प्रश्नः-4 सवैया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण 22 से लेकर 26 वर्ण होते है।
उदाहरण - षेष महेष दिनेष गणेष जाहि निरंतर ध्यावे जाहि।
अनादि अनन्त परिहारे तक तउ पुनि पार जाहि ।।
अनादि अनन्त अछेद, अभेद, सुवेद पार न पावे ।
अहीर की छोहरिया छछिया भरि छाछ पर नाथ नचावे।।
प्रश्नः-5 दुर्मिल सवैया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण 24 वर्ण होते है। इसे चन्द्रकला नाम से भी जानते है।
उदाहरण - इसके के अनुरूप कहे किसको वह कौन सुदेष सुम्मुन्त है।
हमसे सुर लोह समान इसे उनका अनुमान असंगत है।।
कवि गोविन्द्र बखान रहे है सबका अनुभूमि मत यही है।
उपमान विहीन रचा बिधि ने बस भरत के सम भारत है।।
प्रश्नः-6 मन्तगमन्द सवैया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण 28 वर्ण होते है।
उदाहरण - दुलय भी रघुनाथ बने दुलहि सिय सुन्दर मन्दिर माही।
गावति गीत से मिलि सुन्दरी वेद जुवा जुरि विप्र पढाही ।।
राम का रूप निहारत जानकी कंकन के नख नग पर परिछायी ।
याती सवे सुधि भूलि गयी कर टेकि रही पल टारत नाही ।।
प्रश्नः-7 छप्पय छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- रोला उल्लाला के संयोग के संयोग से छप्पय छन्द बनता है इसमे प्रथम चार चार चरण रोला के तथा अतिंम दो चरण उल्लाला के होते है प्रथम चार चरणो में 11 और 13 के विराम से कुल 24 मात्राए तथा अतिम दो चरणो मे 15 और 13 के विराम से कुल 28 मात्राए होती है।
उदाहरण राला - नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर हैै ।
सूर्य चन्द्र युग मुकुट मेखला रत्नाकर है ।।
नदियाॅ प्रेम प्रवाह फूल तारे मण्डल है।
बन्दीजन खग वृद षेष फल सिहासन है।।
उदाहरण उल्लाला - करते अभिषेक पयोद है बलिहारी इस भेष की ।
हे मातृभूमि तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेष की ।।
प्रश्नः-8 कुण्डलिया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- इसके छः चरण होते है प्रथम दो चरण दोहा के तथा अतिंम चार चरण रोला के होते है।
उदाहरण दोहा-गुन के गाहक सहसनर बिनु गुन लहे न कोय।
जैसे कागा कोकिला सवद सने सव कोय।।
उदाहरण रोला -सवद सुने सब कोय कोकिला सबे सुहावन ।
दोउन को रंग काग सब गुने अपावन।।
कह गिरधर कविराय सुनो हो ठाकुर मन के।
विनु गुन लहै न कोय सहसनर गाहक गुन के ।।
//अलंकार //
प्रश्नः-1 अलंकार किसे कहते है।
उत्तर - अंलकार का तात्पर्य होता है आभूषण जिस प्रकार सजने सवरने के लिय वस्त्र ओर अभूषण की जरूरत पडती है उसी प्रकाष काव्य की षोभा की बुद्धि करने वाले उपकरणो को अलंकार कहते है।
प्रश्नः-2 अलंकार कितने प्रकार के होते है।
उत्तर - अलंकार तीन प्रकार कार के होते है 1. षब्दालंकार 2. अर्थालंकार 3. उभयलंकार
1. षब्दालंकार - जिन अलंकारो में षब्दो के द्वारा चमत्कार होता है उसे अलंकार कहते है जैसे - अनुप्रास ,ष्लेष,यमक आदि ।
2. अर्थालंकार - जिन अलंकारो मे अर्थाे के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है उसे अर्थालंकार होता है जैेसे- उपमा,रूपक,उत्प्रेक्षा आदि ।
3. उभयालंकार - जिन अलंकारो मे षब्दो और अर्थाे के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है उसे उभयालंकार कहलाता है।
प्रश्नः-3 यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- जहाॅ एक ही षब्द की आवृति एक से अधिक वार हो लेकिन उसके अर्थ भिन्न भिन्न हो उसे यमक अलंकार कहते है।
उदाहरण - 1. कनक कनक ते सो गुणी मादकता अधिकाय ।
या पाये बोरत नर वा खाये बोरात ।।
2. माला फेरन जुग गया, गया मनका फेर ।
करका मनका डारि के मनका -मनका फेर ।।
प्रश्नः-4 ष्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- ष्लेष का अर्थ चिपका हुआ जहाॅ एक षब्द से अधिक अर्थ निकलते है वहाॅ ष्लेष अंलकार कहलाता है।
उदाहरण - रहिमन पानी राखिए, बिन पानी ाब सून।
पानी गये न उबरे मोती मानस चून।।
प्रश्नः-5 उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- जहाॅ एक बस्तु अथवा प्राणी की तुलना अत्यन्त सान्द्रता के कारण प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से किय जाती है। वहाॅ उपमालंकार होता है।
उदाहरण -नंदन वन सी फूल उठी ।
वह छोटी सी कुटिया मेरी।।
प्रश्नः-6 रूपक अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा काव्य मे उपये में उपमान का आरोप सिद्ध होता है वहाॅ रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण-चरण सरोज पखरान लागा
प्रश्नः-7 उत्प्रेक्षा अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा काव्य मे उपये में उपमान की सम्भावाना व्यक्त किय जाती है वहाॅ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण -जनू अषोक अंगार दीन है मृद्विका डारि तवा
माना झूम रहे है तरू मंद पवन के झोके से
प्रश्नः-8 अन्योक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा किसी वस्तु को लक्ष्य मे रखकर कोई बात किसी दूसरे के लिए कही जाती है वहाॅ अन्योक्ति अलंकार कहलाता है।
उदाहरण - माली आवत देखकर कलियन करी पुकार ।
फूले फूले चुन लिए काली हमारी बाग।।
प्रश्नः-9 अतिष्योक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा पर किसी बात या विषय को अत्यन्त बडा चढाकर प्रस्तुत किया जाता है वहाॅ अतिष्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण - हनुमान जी की पूछ मे लगन नही पाई आग।
लंका सारी जरि गई गये निसाचर भाग ।ं।
प्रश्नः-10 वक्रोक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा कथित ध्वनि के द्वारा दूसरा अर्थ ग्रहण किया जाए वहाॅ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण - में सुकुमारि नाथा बन जोगू ।
तुम्ही उचित तप मो कहू भोगू ।।
प्रश्नः-11 ब्याजस्तुति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा निन्दा के बहाने किसी की प्रषंसा की जाती है देखने मंे निन्दा लेकिन हो वास्तव प्रषंसा वह ब्याजस्तुति अलंकार होता है।
उदाहरण - जमुना तुम अभिवेकनी कौन लियो यह ब्रग
पापिन सो निज बन्धु कौ मान करावत भंग
प्रश्नः-12 ब्याजनिन्दा अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा प्रषंसा के बहाने किसी की निन्दा की जाती है देखने मंे प्रषंसा लेकिन हो वास्तव निन्दा वह ब्याजनिन्दा अलंकार होता है।
उदाहरण - तुम तो सखा ष्याम सुन्दर के ।
सकल जोग के ईष।।
प्रश्नः-13 विभावना अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा कारक के उपस्थित न होने पर भी कार्य न होने पाया जाये जो वहाॅ विभावना अलंकार होता है।
उदाहरण - बिनु पद चले सुने बिनु काना ।
कर बिनु करम करे विधि नाना।।
अथवा
आनन रहित संकल रस भोगी ।
बिनु बानी बक्ता बड भोगी ।।
प्रश्नः-14 व्यतिरेक अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा उपमेय को उपमाना बताया जाए बहाॅ व्यातिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण - सिम सूूवरन सखमाकर सुखद न थोर।
सिय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।
प्रश्नः-15 विषेषोकित अंलकार की परिभाषा उदा सहित समाझाइये
उत्तर -परिभाषा -जहाॅं कारण के उपस्थ्तिि होने पर भी कार्य नही होता वहाॅं विषेषोकित अंलकार होता हैं।
उदाहरण - इन नेनिन को कुछ उपजी बडी बलाय ।
नीर भरे नित प्रिति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
सभी कवियो के कलापक्ष और साहित्य में स्थान
1. कलापक्ष - आपका कलाा पक्ष भी भाव पक्ष की तरह श्रेष्ठ है आपकी भाषा परिभाषित हो जिसमे षब्दो का चयन अनूठा है कम से कम षब्दो में अधिक मर्मस्पर्षी अर्थ की अभिव्यक्ति की क्षमता होने के कारण गागर मे सागर भरने की कहावत आपके काव्य मेे खरी उतरती है आपके काव्य के कारण कई भद्दापन नही आया हैं आपकी भाषा भावो के अनुकूल है काव्य मे ताजगी और सहजता है यदपि आपके कलापक्ष को सबल बनाने का प्रयास नही किया गया है फिर भी आपका कलापक्ष सुन्दर है।
2. साहित्य में स्थान - आपको हिन्दी साहित्य मे आपका कला पक्ष और भाव पक्ष दोनो ही स्मरणीय है तथा उच्चकोटी के है आप हिन्दी साहित्य के कवि सम्राट है आपका काव्य जन जीवन के लिए प्रेरणा स्त्रोत वन गया है आपका व्यक्तित्व सारे हिन्दी साहित्य में अनुपम है।
ज्मगज ठवगरू तुलसीदास जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- रामचरित्र मानस , विनय पत्रिका, कवितावली ,गीतावली , जानकी मंगल आदि रचनाऐ।
2. भाव -पक्ष - तुलसीदास जी का भाव जगत के सग्रह उनकी रचनाओ में धार्मिक , सामाजिक , दार्षिनिक , भावो का सागर लहराता है। तुलसीदास जी मर्यादा कवि थे जाति वादि का भेद भाव वे एक सीमा तक पहुचकर स्वीकार करते थे लेकिन भक्ति के स्तर पर पहुचकर उचे नीचे भावो को एक दम अस्वीकार करते थे तुलसीदास जी की रचनाओ मंे रूपक ,अनुप्रास , अन्योक्ति आदि अलंकारो का सुन्दर प्रयोग किया है। उनकी कविता भेदो जैसी पवित्र तथा खीर जैसी स्वादिष्ट है।
ज्मगज ठवगरू जयषंकरप्रसाद जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- कामायनी ,लहर ,आॅसू, झरना, प्रेम पवित्र,आदि रचनाऐ है।
2. भाव -पक्ष - जयशंकर प्रसाद छायावाद के जनक तथा प्रतिनिधि कवि है प्रसाद जी ने आपने अपने महाकाव्य कामयानी मे समरस्ता का संदेष दिया है। इनके महाकाव्य मे दार्षानिकता का पुट भी देखा जा सकता है इनका साहित्य भक्ति और ओज का साहित्य है उसमे उत्साह और उमंग का आलोक है प्रेम करूणा और सौन्दर्य की आभा झलकती है उनके काव्य में प्राकृति छवियो के साथ ही प्राकृति प्रतिको का अतुल्य सौन्दर्य है।
ज्मगज ठवगरू सूरदास जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- सूरसागर ,सूरसारावली , साहित्स लहरी इन्होने जीन ही रचनाओ का सृजन किया है।
2. भाव -पक्ष- महाकवि सूरदास भगवान श्री कृष्ण के अन्यन भक्त थे उन्होने कृष्ण की लीलाओ का वर्णन अपने स्मपूर्ण काव्य मे किया है जिसमे बाल लीला , राधा कृष्ण का प्रेम ,और गोपियो के विरह के पीडा का प्रधान किया है सूरदास जी वात्सल्य रस के साम्राट है उनके काव्य मे बालको की क्रीडा चपलता के अनेक उदाहरण मिलते है कि सूरदास जी बाल मनो विज्ञान के ज्ञाता तथा कुषल चित्राकार थे।
ज्मगज ठवगरू कबीरदास जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- कबीरदास जी की रचनाओ को तीन रूप में विभक्त किया गया है
1. षाखी
2. सवद
3. रमेनी
2. ज्मगज ठवगरू मैथलीषरण गुप्त जी का जीवन परिचय भाव -पक्ष- कबीरदास जी निगुण ब्र्रम्ह के उपासक थे कबीरदास जी के काव्यो में आत्मा और परमात्मा के संबंधो की स्पष्ट व्याख्या मिलती है कबीर ने अपने काव्य में परमात्मा को प्रियतम एवं आत्मा को प्रेषसी के रूप में चित्ररण किया है सामाजिक जीवन में फेली बूराइयो को मिटाने के लिए कबीर की वाणी कर्कष हो उठी और कबीर ने सामाजिक बुराइयो का खण्डन तो किया ही है बल्कि आदर्ष जीवन के लिए नीति पूर्ण उपदेष भी दिया है।
1. रचनाएॅ- साकेत ,भारतभारतीय , जयभारत, पंचवटी , गृरूकुल , यषोधरा आदि रचनाए है।
2. भाव -पक्ष - राष्टीय भावनाओ का जाग्रत करना आपके काव्य की विषषताए है इतिहासिक प्रसंगो को आपने बडे ही रोचक एवं मार्मिक ढंग से आपने काव्य में समाहित किया है राष्टीय भावनाओ पर आपके काव्य में गहन चिन्तन के दर्षन होते है प्राचीन भारतीय संस्कृति में गहन आस्था रखने के साथ साथ गुप्त जी का ह्र्रदय राष्टीय भावनाओ से ओत प्रोत है।
सभी लेखको के जीवन परिचय एवं भाषा ष्षैली व साहित्य में स्थान
1. भाषा - आपकी भाषा सरल सुबोध और भाव भरी है जिस प्रकार उद्धान में रंग बिरंगे फूल से उद्धान की षोभा मे चार चाॅद लगते है लग जाते है उसी प्रकार आप के गद्य में कहावतो, मुहावरो , लोक्तियो के प्रयोग से चार चाॅद लग जाते है आपने अपनी भाषा मे तत्सम षब्दो का प्रयोग किया है और आवष्यता अनुसार उर्दू , फारसी तथा संस्कृत आदि अन्य भाषाओ के षब्दो के प्रयोग मे संकोख् नही किया है।
2. भाषा षैली- आपकी धारा वाई व श्रुटियो षैली मे विविधिता के दर्षन होतंे हैं अपने वर्णात्मक ,भावात्मक , विचारात्मक तथा समीक्षात्मक ष्षैली का प्रयोग किया है आपके गंम्भीर मौलिक विचारो से आपकी कहानी और जीवनियो में रोचकता उत्पन्न हो गई है।
3. साहित्य में स्थान - आपका हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है विषम की विविधता सरलता के लिए आप सदैव सम्मानीय एवं स्मरणीय रहेगे है।
लेखक - रचनाएॅ
1. आचार्य रामचन्द्र षुक्लजी - चिन्तामणि विचार वीभी ,त्रिवेणी,रस, मीमींष, हिन्दी साहित्य का इतिहास आदि
2. षरद जोषी - तिलिस्म, पिछले दिन ,परिक्रमा ,अन्धो का हाथी , किसी बहाने आदि
3. डाॅ रघुवीरसिह - सप्तदीप ,बिखरे फूल, जीवन कण, षेष स्मृतिया आदि
4. डाॅ सुरेष षुक्लचन्द्र - स्वप्न का सत्य , कामाकथा ,सर्मपण ,प्रायष्चित आदि
5. प्ंा. रामनारायण उपाध्याय - आमपल्लव चर्तुचिडियाॅ, हम तो बाबुल तेरे बाग की चिडिया है।
//काव्य रूप //
प्रश्नः-1 काव्य किसे कहते है और इसके भंेद लिखिए
उत्तर - रसात्मक वाक्यं काव्यम् अर्थात रस युक्त काव्य को ही काव्य कहते है।
काव्य के भेद होते है 1. दृष्य काव्य 2. श्रव्य काव्य
1. दृष्य काव्य - जिस काव्य का रंगमंच पर अभिनम देखकर आनन्द लिया जाता है इस काव्य को दृष्यकाव्य कहते हे। जैसे - नाटक ,एकांकी आदि
2. श्रव्य काव्य - जिस काव्य को पढकर या लिखकर आनन्द लिया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते है जैसे - कविता ,कहानी, उपन्यास आदि
प्रश्नः-2 श्रव्य काव्य के भंेद लिखिए
उत्तर - श्रव्य काव्य के दो भंेद होते है 1. प्रबन्धकाव्य 2. मुक्तककाव्य
1. प्रबन्धकाव्य- यह श्रव्य काव्य का प्रमुख भेद होता है प्रबंन्ध काव्य के छन्द एक कथा के धागो में माला की तरह पिरोय रहते है। इसके छन्दो का संबंध पूर्ण पर होता है।
2. मुक्तककाव्य- मुक्तककाव्य में एक अनुभूति एक भाव ओर एक ही कल्पना का चित्रण होता है इसका प्रत्येक छन्द स्वयं पूर्ण होता तथा पूर्णा पर संबन्ध से मुक्त होता है।
प्रश्नः-3 प्रबंन्ध काव्य के कितने भंेद लिखिए
उत्तर - प्रबंन्ध काव्य के दो भंेद होते है। 1. महाकाव्य 2. खण्डकाव्य
1. महाकाव्य - महाकाव्य में जीवन की विस्तृत व्याख्या होती है इसकी कथा इतिहास प्रसिद्ध होती है इसका नाटक महान चरित्र वाला होता है इसके कम से कम आठ सर्ग या खण्ड होते है इसमे मूल कथा को पुष्1. महाकाव्य करने के लिए अन्य कथाए जुडी होती है जैस - रामचरित्र मानस , पद्मावत , साकेत , कामायनी आदि
2. खण्डकाव्य - खण्डकाव्य में जीवन के किसी एक भागत , एक घटना अथवा चरित्र का चित्रण किया जाता है जिसकी व्यारका संक्षिप्त होती है जैसे पंचवटी ,सुदामा चरित्र , हल्दी घाटी आदि।
प्रश्नः-4 मुक्तक काव्य के कितने भंेद लिखिए
उत्तर - मुक्तक काव्य के दोे भंेद होते है 1. पाठ्य मुक्तक 2. गेय मुक्तक
1. पाठ्य मुक्तक- पाठ्य मुक्तक में विषम की प्रधानता होती है जिसके प्रसंगानुसार भावानुभूति व कल्पना का चित्रण होता है।
2. गेय मुक्तक - इसे गीत या प्रगति भी कहते है इसमे भाव सौन्दर्यबोध अभिव्यक्ति की सक्षिप्तता संगीतात्मकता और लयात्मकता की प्रधानता होती है।
प्रश्नः-5 महाकाव्य और खण्डकाव्य मे अन्तर लिखिए
उत्तर -
महाकाव्य
खण्डकाव्य
महाकाव्य में जीवन का विस्तृत व्यारका होती है।
खण्डकाव्य में जीवन की संक्षिप्त व्यारका होती है।
महाकाव्य मे सम्पूर्ण घटनाओ का वर्णन होता है।
खण्ड काव्य में किसी एक घटना का वर्णन होता है
महाकाव्य मे नायक महान चरित्र वाला होता है
खण्डकाव्य मे नायक महान सामान्य चरित्र वाला होता है
महाकाव्य मे कई छन्दो का प्रयोग होता है।
खण्डकाव्य मे एक छन्दो का प्रयोग होता है।
महाकाव्य में श्रंगार षान्त,वीर,और श्रंगार रस मे से किसी एक रस की प्रधानता होती है।
खण्डकाव्य में करूण और श्रंगार रस की रस की प्रधानता होती है।
प्रश्नः-6 प्रसाद गुण किसे कहते है उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- जिस काव्य को पढने या सुनने से ह्रदय प्रभावित हो बुद्धि निर्मल बने और मन खिल उठे उसे प्रसाद गुण कहते है।
उदाहरण- तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर
प्रभु मेरा जीवन भी हो सुन्दर
//भाव विस्तार //
प्रश्नः-1 दूर के ढोल सुहावने होते है। भाव विस्तार कीजिये ।
उत्तर-दूर के ढोल सुहावने होते है इस कहावत का तात्पर्य है कि कोई भी पदार्थ दूर होने के फलस्वरूप मोहक तथा सुहावना लगता है क्योकि दूर का पदार्थ वास्तविकता से अलग हो जाता है इसी लिए उसमे कर्कस्यता का आभास नही हो पाता है वृद्धो को अतित एवं युवको को भविष्य आक्रसित लगता है लेकिन जब बे कर्म के क्षेत्र में प्रवेष करते है तो सत्य का ज्ञान होता है अतित एवं अज्ञानता दूर के ढोल की तरह सुहावने लगते है समझा जाता है कि दुनिया दूर से जितनी लुभावनी लगती है ऐसी आक्रमत नही होती इसी लिए यह कथन सत्य है कि दूर के ढोल सुहावने लगते है।
प्रश्नः-2 धर्म प्रार्थक्त नही एकता का घोतक है भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर-इस संसार में विभिन्न धर्माे का प्रचलन है जिस मनुष्य की जिस धर्म मे आस्थ होती है वह उसी धर्म का पालन कर्ता है धर्म अलग अलग होते हुये भी मूल्य रूप से समान है धर्म भाईचारा ,प्रेम, एकता एवं अंहिसा का संदेष वाहक है धर्म के आधार पर कलह या संघर्ष करना अषोभनीय है धर्म तोडता नही अपितु जोडता है इंसान के दिल और दिमांग मे उधार भावना ,भावना का बीज रोपण करता है धर्म के साधन अलग अलग हो सकते है अतः यह कथन पूरी तरह सत्य है कि धर्म पार्थक्य नही अपितु एकता का द्योतक है।
प्रश्नः-3 साहित्य एवं समाज का घनिष्ट संबंध है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- साहित्य एवं समाज का घनिष्ट संबंध समाज के धरातल पर ही साहित्यकार साहित्य की रचना करता है वह अपने साहित्य के माध्यम से समाज को नवीन बोध एवं दिषा प्रधान करता है लेकिन समाज के अस्तित्व को नकारने पर साहिंत्य का सर्जन नही हो सकता साहित्य तत्कालीन समाज की राजनैतिक धार्मिक विज्ञान कला एवं संभंता संस्कुति का जीवनत अंकन करता है साहित्य के पटन पाटन से तत्कालीन युग की सम्यक जानकारी प्राप्त हो सकती है इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है।
प्रश्नः-4 इ्र्रष्वर किसी धर्म या जाति का नही होता है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-यह बात सत्य है कि ईष्वर निर्गुण निराकार अखण्ड एवं सर्व षक्तिमान है उसे किसी परधि मे समेट कर नही बाधा जा सकता परमपिता होने के फल्रस्वरूप वह सबका है एवं सब उसके समस्त धर्म अनुयायिओ का इस उस पर समान रूप से अधिकार है धर्म का मार्ग अलग अलग होते हुये भी सबका लक्ष्य भी ईष्वर की प्राप्ति होता है वह असीम कृपा सब पर समान रूप से बरसाता है अतःइ्र्रष्वर किसी धर्म या जाति का नही होता है।
प्रश्नः-5 कविता कोमल की चीज है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-मावन मन मे विद्यमान कोमल भावनाओ के प्रकाषन का साधन कविता है भावुक व्यक्ति के भाव उमंगित होते है तब कविता का जन्म होता है अन्य मानवो की तुलना मे कवि कुछ अधिक संवेदना ष्षील तथा भावुक होता है जिन्दगी के कटु एवं मधुर भाव कविता के सहारे व्यक्त होते है कवि के कोमल मानस से कविता की मधुर धारा प्रभावित होने लगती है संवेदन षीलता कोमल ह्रदय मे ही निवास करती है जिस व्यक्ति के मन मे संवेदन षीलता नही है वह न कविता को न समझ सकता है और न ही लिख सकता है अतः यह कहा जाता है। कि कविता कोमल ह्रदय की चीज है।
प्रश्नः-6 बेर क्रोध का आधार या मुख्य है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- क्रोध यदि आम है तो बेर उसका आधार है जिस प्रकार आम की अपेक्षा उसका आधार अधिक टिकाउ होता है उसी प्रकार बेर क्रोध का स्थाई या टिकाउ रूप है जो क्रोध तत्काल प्रदर्षित होने से रह जाता है तो समय आने पर वह बेर के रूप प्रकट होता है जिस प्रकार विषेष ढंग से तैयार किया गया मुरव्वा अधिक समय तक टिकाउ होता है बैसे ही मनुष्य के ह्रदय मे क्रोध अधिक समय तक रहने पर बेर का रूप धारण कर लेता है अतः यह कथन सत्य है कि बेर क्रोध का आचार का मुरव्वा है।
प्रश्नः-7 भगवान के घर में देर अंधेर नही है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- यह बात सत्य है कि ईष्वर सच्चा एवं निष्पक्ष न्याय करने वाला है वह दोषी को सजा देते है तथा निर्दोष की सुरक्षा करते है यह बात देखने मे भी आती है कि कभी कभी निर्दोष व्यक्ति को भी विपत्ति कि जाल में उलझ जाते है जिस मनुष्य की ईष्वर पर आस्था और निष्ठा होती है। वे जानते है कि ईष्वर उसे एक न एक दिन आवष्यक नियाय प्रधान करेगा और विपत्ति के फन्दे से मुक्त का देगा इस प्रकार यह कथन सत्य है कि भगवान के घर में देर अंधेर नही है।
प्रश्नः-8 जवारो जैसे पीताभ गेहू के पौधे का संदेष देते है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- गेहूॅ का पौधा बडकर मनुष्य को यह षिक्षा देता है कि निमार्ण सदैव विकास की ओर जाता है सृजन को अंधेरे बन्द कमरे मंे नही किया जा सकता है जैसे छोटे दीपक की लोग दूर दूर तक प्रकाष फेलती है उसी प्रकार सृजन का प्रकाष फेलता है व्यक्ति का आचरण षील ,विवेक ,मेहनत , ईमानदारी , आस्था आदि गुण सृजन की मात्रा को आगे की ओर ले जाते है हाल ही में अकुरित गेहू के पौधे मनुष्य यही प्रेरण देते है।
प्रश्नः-9 अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाडता है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-अज्ञान आदमी को सर्वत्र पछाडता है मानव जीवन के लिए अज्ञानता एक अभिसाय है ज्ञान के कारण ही मनुष्य आज षक्ति के उच्च षिखर पर पहुच सका है ज्ञान के कारण ही मनुष्य सत्य असत्य अच्छाईया बुराईया को पहचानता है अज्ञानता मनुष्य को सभ्यता बनाती है उसे विकास से विपरीत दिषा मे ले जाती है इसलिए कहा गया है अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाडता है।
प्रश्नः-10 मन के हारे हार है मन के जीते जीत है भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-जीवन मे सफलता और असफलता मन के कारण मिलती है मन की घृणा संकल्प षक्ति निरन्तर कार्य में जुटाया रखती है इसमे सफलता मिल जाती है मन की दुर्बलता मावन मे निराष का संचार कर देती है असफलता ही हाथ लगती है जीवन के कर्म क्षेत्र में विजजी होने के लिए मन को सवल और संकल्पषील बनाने की आवष्यकता है।
//भाषा बोध//
प्रश्नः-1 भाषा किसे कहते है
उत्तर-उच्चारित ध्वनि संकेतो की सहायता से मनुष्य आपस में विचारो का आदान प्रदान करते है उसे भाषा कहते है।
प्रश्नः-2 भाषा की विषेषताए लिखिए
उत्तर-1. भाषा एक सामाजिक बस्तु है।
2. भाषा अर्जित सम्पत्ति है।
3. भाषा परमागत वस्तु है ।
4. भाषा चिरपरिवर्तन षील है।
5. भाषा का कोई अंमित स्वरूप नही है।
6. भाषा सदैव कठिनता से सरलता की और उमुख होती है।
प्रश्नः-2 मातृभाषा क्या समझाते हुये इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर- माता जिस बोली का प्रयोग करती है उस बोली को बालक सर्वप्रथम सीखता है उस भाषा को ही मातृभाषा कहते है।
1. मातृभाषा स्वतः ही आ जाती है। क्योकि यह माता पिता के मध्य परिवार में तथा स्थानीय परिवेष में बोली जाती है।
2. मातृभाषा के माध्यम से अध्ययन प्रारम्भ होता है।
प्रश्नः-2 मातृभाषा का ज्ञान कराना क्यो आवष्यक है
उत्तर- बच्चे को जो भाषा अपने माता पिता और परिजनो से स्वभाविक रूप से सीखने को मिलती है वह उसकी मातृभाषा होती है यह एक प्रकार से काम काज की भाषा होती है तथा परिवार के लोगो के बीच भाव विचारो के आदान प्रदान का माध्यम होती है। अतः मातृभाषा का ज्ञान प्राप्त करना आवष्यक है।
प्रश्नः-2 राष्ट्रभाषा किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यो के लोगो द्वारा अपनाई जाने बाली भाषा को राष्ट्रभाषा कहते है।
विषेषताए-
1. राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण राष्ट्र की सबकी होती है
2. राष्ट्रभाषा का रूप व्यापक होता है।
3. राष्ट्रभाषा का व्यवहार पूर्ण राष्ट्र मंे होता है।
4. राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण देष की संस्कृति एवं आदर्षाे को अभिव्यक्त करती है।
5. राष्ट्रभाषा अन्य भाषाओ एवं विभाषाओ की प्रकृ ितमे सहायक होती है।
प्रश्नः-2 राजभाषा किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -जिस भाषा में सरकारी काम काज में होता है उसे राजभाषा कहते है इसे अंग्रेजी मे आॅफिषियल राजभाषा लेग्वेंज कहते है।
विषेषताए-
1. यह सरकारी काम काज की भाषा होती है।
2. क्षेत्रीय भाषा की राजभाषा होती है।
3. कार्य निर्णय षिक्षा का माध्यम रेडियो और दूरदर्षन मे राजभाष का प्रयोग होता है।
4. राजभाषा का क्षेत्र सीमित होता है ।
5. राजभाषा किसी भी विषेष राज्य मे ही मान्य होती है।
प्रश्नः-2 विभाषा किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -जब कोई वोली धार्मिक श्रेष्ठता अथवा भौगोलिक विस्तार के कारण किसी प्रान्त व उपरान्त मंे प्रचलित हो जाती है।
विषेषताए-
1. विभाषा का क्षेत्र बोली से अधिक व्यापक होता है
2. यह किसी प्रदेष मेे बडे हिस्से में सामालिक व्यवहार या साहित्य में प्रयोग की जाती है।
3. विभाषा बोली का अर्धरूप है।
4. विभाष किसी विषेष प्रान्त तक सीमित रह जाती है।
प्रश्नः-2 बोली किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर-स्थानीय भाषा को बोली को बोली कहते है बोली भाषा की लघुतम इकाई है।
विषेषताए-
1. बोली स्थानीय व घरेलू होती है।
2. इसका क्षेत्र सीमित होता है।
3. बोली भाषा की लघुतम इकाई है।
4. बोली में साहित्य नही होता है।
प्रश्नः-2 भाषा और बोली में अन्तर लिखिए ।
उत्तर-
भाषा
बोली
भाषा की बोली का विकसित रूप है
बोली भाषा की लघुतम इकाई है
भाषा क्षेत्र विस्तृत होता है
बोली क्षेत्र सीमित होता है
भाषा साहित्य होता है।
बोली साहित्य नही होता है।
प्रश्नः-2 भाषा और राजीभाषा में अन्तर लिखिए ।
उत्तर-
भाषा
राजभाषा
भाषा का संबंध संम्पूर्ण राष्ट से होता है
राजभाषा का संबंध किसी राज्य विषेष से होता है।
भाषा का साहित्य सर्वमान्य एव सर्वक्षेपिक होता है
राजभाषा किसी विषेष राज्य में ही मान्य होती है।
भाषा क्षेत्र विस्तृत होता है
राजभाषा क्षेत्र सीमित होता है
प्रश्नः-2 भाषा और विभाषा में अन्तर लिखिए ।
उत्तर-
भाषा
विभाषा
भाषा की बोली का विकसित रूप है
विभाषा की बोली का अर्ध विकसित रूप है
भाषा में प्रचुर साहित्य होता है।
विभाषा मे कम साहित्य होता है।
भाषा व्यापक क्षेत्र प्रचलित होता है
विभाषा प्रान्त विषष तक ही सीमित रह जाती है।
प्रश्नः-2 मध्यप्रदेष में बोली जानें बाली चार बोलियो के नाम लिखिए
उत्तर-
1. बुन्देलखण्डी- यह बोली बुन्देल क्षंेत्र में बोली जाती है जैसे- ,टीकमगढ, छत्तरपुर, सागर आदि ।
2. छत्तीसगढी-यह बोली छत्तीसगढ में बोली जाती है। जैसे - दुर्ग, रायपुर ,विलासपुर आदि ।
3. बद्येली -यह बाली सहडोल सतना रावा आदि क्षेत्रो मे बाली जाती है।
4. मालवी - इसका प्रयोग मालवा क्षेत्र में होता है यह रतलाम ,उज्जैन आदि में बोली जाती है।
//निबंध //
इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता
1. प्रस्तावना
2. इन्टरनेट का परिचय
3. इन्टरनेट से लाभ
4. इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता
5. उपसंहार
1. प्रस्तावना - एक समय था जब न तो यातायात के पर्याप्त साधन थे और न ही संचार की अत्यन्न सुविधाए तक व्यक्ति पडोसी नगर अथवा गाॅव तक के समाचार पत्र प्राप्त नही हो पाते थें परन्तु जैसे ही संविधा का विकास की ओर प्रसार हुआ और बैसे वैसे वैज्ञानिक उपाधान नेे ईष्वर की बनाई इस दुनिया को बहुत छोटा कर दिया और रेल टेलिविजन की जानकारी इन्टरनेट की जा सकती है।
2. इन्टरनेट का परिचय - इन्टरनेट अत्याधुनिक प्रोद्योगिकी है जिसमे अनगिनत कम्प्यूटर एक नेटवर्क से होते है। प्रोग्राम इन्टरनेट न कोई साॅॅफटवेयर अपितु यह तो एक ऐसा स्थान है जहो अनेक सूचनाए एवं जानकारी उपकरणो की सहायता से मिलती है। इन्टरनेट के माध्यम से मिलने वाली सूचनाओ में विष्वभर की व्यक्ति और संगठनो का संयोग रहता है उन्हे नेटवर्क आॅफ सर्वेस कहा जाता है। यह एक वर्ड वाइव वेव ूूू है। जो हजारो सर्विसस को जोडता है।
3. इन्टरनेट से लाभ - इन्टरनेट द्वारा विभिन्न प्रकार के दस्तावेज आदि सूची विज्ञापन समाचार हो जाती है। ये सूचनाए संसार में कही पर भी प्राप्त की जा सकती है। पुस्तको मे लिखे समाचार पत्र संगीत आदि सभी इन्टरनेट के माध्यम से प्राप्त किये जा सकते है संसार के किसी भी कौने में कही पर भी सूचना प्राप्त की जा सकती है। और भेजी जा सकती है। हमारे वयक्तिगत सामाजिक अघोगिक षिक्षा संस्क्ति आदि क्षे.त्रो में इन्टरनेट उपयोगी है
4. इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता - अत्यंन्त आवष्यक है षिक्षा ,स्वच्छ यात्रा पंजीकरण आवेदन आदि सभी कार्याे में इन्टरनेट सहयोगी है पढने वाली दुर्लभ पुस्तको को संसार के सभी कौनो में पढा जा सकता है और स्वच्छ संबंधी विस्तृत जानकारियां इन्टरनेट पर उपलब्ध होती है इन्टरनेट के द्वारा संसार के किसी भी विषिष्ट इन्टरनेट के द्वारा संसार व्यक्ति के विषय में जाना जा सकता है सभी प्रकार के टिकट घर बैठै इन्टरनेट से लिए जा सकते है। दैनिक जीवन की समस्याओ को हल करने वाले इन्टरनेट आज के जीवन के लिए आवष्यक बन गया है।
5. उपसंहार - समाज के प्रत्येक वर्ग में इन्टरनेट की बढती हुई स्वीकारता इस बात का स्पष्ट संकेत है। कि इस युवकी ने मावन जीवन में चमत्कार कर दिया है। किन्तु जैसा हम चाहते है कि कोई न कोई बुरी बात छुपी होती है। इन्टरनेट के दुष्परिणाम करने वाले इस अनोखी सुविधा का भी गलत प्रयोग किया है इससे भावी पीढी पर नैतिक एवं साणयक पतन का खतरा मडराने लगा है।
कम्प्यूटर आज के जीवन की आवष्यकता
1. प्रस्तावना
2. कम्प्यूटर का अनुप्रयोग
3. कम्प्यूटर का इतिहास
4. कम्प्यूटर का उपयोग
5. उपसंहार
1. प्रस्तावना- कम्प्यूटर मानव मन मसिष्क के विकास का अद्भुत रूप है। यह वैज्ञानिक अविष्कारो की श्रृखला का अद्भुत रतन है वह वैचारिक क्रिया कलाप को षीघ्र निपटारे के कारण आज के युग का कारामापी यंत्र है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज इसकी आवष्यता का अनुभव होने लगा है निष्चित ही 21 वीं षताब्दी कम्प्यूटर षाताब्दी के नाम से जानी जाएगी ।
2. कम्प्यूटर का अनुप्रयोग - प्रारम्भ में कम्प्यूटर अंक गणितय गणनाओ के लिए निर्मित हुये थे परन्तु आगे चलकर विभिन्न कार्याे में उन्हे प्रयुक्त किया जाने लगा है व्यवसायक व वैज्ञानिक क्षेत्रो में इसका अनुप्र्रयोग बडी तेजी से हो रहा है कार्यालय के वेतन के विवरण में सभी कर्मचारियो को सभी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है विक्रय का विष्लेषण का आय लेखा जोखा बाजार की घट पड भविष्य की संभावनाए इत्यादि के लिए कम्प्यूटर का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है बैको मे कार्य अत्याधिक बढ रहा है इस लिए वहाॅ भी कम्प्यूटर का उपयोग बहुत अधिक हो रहा है।
3. कम्प्यूटर का इतिहास - यह बात 1000 ई. पूर्व की है जब जापान के अन्तर्गत ऐवेक्स नामक यंत्र तैयार किया गया इसके माध्यम से गणित के प्रष्नो का हल किया जाता है था फ्रांस में प्रतिभाषाली युवा का जन्म हुआ जिसका नाम ब्लेन पेस्कल था इसमे सन् 1673 ई. में कम्प्यूटर की अविष्कार का सिरे इग्लेण्ड के चानर्स वैवेज है यह बहुत ही कुषल गणितज्ञ था इन्होने यह कार्य 1833 ई. में सम्पन्न किया है।
4. कम्प्यूटर का उपयोग - ओद्योगिक के क्षेत्र मे मषीनो तथा कारखानो का संचालन करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया गया है आज अन्त में विज्ञान कम्प्यूटर रामवाण सिद्ध हुआ है आज जिन्दगी का कोई भी ऐसा घरेलु ष्षेष नही बचा इसमे कम्प्यूटर का प्रयोग नही हो रहा है इससे वायुयान , रेलो मे आरक्षण सम्मान किया जा रहा है। और बडी बडी बीमारिया समय रहते पता लगाया जा सकता है चाय चिकित्सया हो या चुनाव हो युद्ध का मैदान एवं मौसम के विषय की जानकारी तुरन्त प्राप्त होती है।
5. उपसंहार-भारत में कम्प्यूटर की प्रकृति को प्रत्येक क्षेत्र मे देखा जा सकता है। इसके माध्यम से विकास की गति में आषातीत प्रकृति हुई रोविट तो खास रूप में मानव मन मतिष्क प्रमाण है परन्तु दसके प्रयोग में अत्याधिक ध्यान केन्द्र करना होता है कम्प्यूटर ने आज जा कुछ उपलब्ध किया है। वह बुद्ध जीवियो की महत्व में पूर्वा पूण देन है किन्तु फिर भी हमे कम्प्यूटर पूर्ण रूप से निर्भर न रहकर अपने अस्तित्व के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
भारतीय समाज मे नारी का सम्मान
1. प्रस्तावना -
2. वैदिक काल मे नारी -
3. मध्ययोग में नारी -
4. आधुनिक नारी -
5. चिन्ता का विषय-
6. उपसंहार -
1. प्रस्तावना - नारी सृष्टि की आधर षिला है उसके बिना हर रचना अधूरी है वह पुरूष की माता भी है प्रेमिका भी है सहचारी भी है और संयोगनी भी है भारत की संस्कृति में नारियो को महिमामय एवं गरिमा मय स्थान प्राप्त है अतः यत्र नार्यस्तु पूजन्ते तत्र देवता रमन्ते । अर्थात जहाॅ नारियो की पूजा होती है वहाॅ देवता निवास करते है। यह भारतीय की नारी दृष्टि का परिचायक है।
2. वैदिक काल मे नारी - वेदिक युग में नारी का सम्मान जनक स्थान प्राप्त था उसकी षिक्षा दीक्षा की उचित व्यावस्था भी उसके बिना कोई भी धार्मिक कार्य पूरा नही होता था नारी का सम्मान सर्वोपरी माना जाता है उस समय की नारी सभ्य सुसंस्कृति एवं सुषिक्षित थी गर्मी मेैदानी उसके ज्वलन्त उदाहरण है वैदिक काल में परिवार के सभी निर्णय लेने का अधिकार नारी को ही प्रधान किया गया है।
3. मध्ययोग में नारी - मध्ययुग तक आते आते नारी की सामाजिक स्थिति देवी बन गई है। भगवान बुद्ध द्वारा नारी को सम्मान दिये जाने पर भारतीय समाज में नारी के गौरव का हिराष होने लगा फिर भी वह पुरूष के साथ समाजि कार्याे में भाग लेती चली गई सहभागनी और सम्मान अधिकार का स्वरूप पूरी तरह समाप्त नही हो पाया था तक मध्यकाल मे षासको की दृष्टि से नारी के बचने के लिए प्रत्येक प्रत्येयक किये जाने लगे नारी वह कन्या के रूप में पिता पर पत्नि के रूप मे पति पर माॅ के रूप मे पुत्र पर आकर्षित होती चली गई है नारी पुरूष प्रधान समाजिक व्यावस्था में वह मात्र एक दासी बनकर रह गई।
4. आधुनिक नारी - आधुनिक काल के आते आते नारी चेतना का भाव उत्कृष्ट रूप में जाग्रत हुआ मांग मांग की दास्ता से पीढी पंीडित नारी के प्रति एक सहानभूति अपना जाने लगी बंगाल मे राजाराम मोहनराय और उत्तर भारत में दयानन्द सरस्वती ने नारी को पुरूष के अत्याचार की छाया से मुक्त कराने को क्रान्ति का बुगल बजाया नारियो ने समाजिक धार्मिक राजनैतिक सहात्मक सभी क्षेत्रो मे आगे बढकर कार्य किया है स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार मे नारियो की स्थिति सुधरने के लिए अनेक परिवर्तन किये और नारियो को पुरूष के सभी अधिकार दिलाकर भूमि पर लाकर खडा कर दिया।
5. चिन्ता का विषय- यह बात सत्य है कि आज नारी अपने महत्व को समझने में सॅल हे लेकिन नारी के षोषण एवं उत्पीडन की घटनाए निरन्तर बड रही है समाज में पुत्री की अपेक्षा पुत्र के जन्म को अत्याधिक महत्व दिया जाता है ग्रामीण मंे नारियो अन्धविष्पासो एवं कुरूरीतियो के भ्रम जाल मंे फसी है और षिक्षा के अभाव में आर्थिक दृष्टि से असफल है अपने आवष्यकताओ की पूर्ति के लिए वह पूरी तरह से पुरूषो पर निर्भर है ।
6. उपसंहार - आज की नारी अपने पाॅव पर खडी हुई है आज भारतीय नारी गुलामी की जंजीरो को छिन्न भिन्न करके उच्च षिक्षा प्राप्त कर रही है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरूषो के साथ रहकर उत्तम कार्याे का प्रदर्षन कर रही है उनका भविष्य उज्जैन एवं मंगल में है नारी पूजा की मांग है स्त्री घर की ज्योति है। स्त्री ग्रह की संरक्षात घर की लक्ष्मी है।
पद्य साहित्य का विकास
//व्याकरण//
प्रष्नः-1 आधुनिक कविता के विकास क्रम को कितने युगो में बाॅटा गया है।
उत्तर - काल समय
भारतेन्दु युग - सन 1856 से 1900 तक
द्विवेदी युग - सन 1900 से 1920 तक
छायावादी युग - सन 1920 से 1936 तक
प््रागतिवादी युग - सन 1936 से 1943 तक
प्रयोगवादी युग - सन 1943 से 1950 तक
नई कविता सन 1950 से आज तक
प्रष्नः-2 वीरगाथा काल की विषेषताए लिखिए।
उत्तर - वीरगाथा काल की निम्नलिखित विषेषताए है
1. वीर रस की प्रधानता
2. आश्रय दाताओ की प्रधानता एवं यष ज्ञान
3. इतहासिक घटनाओ का चित्रण
4. श्रंगार रस के साथ साथ अन्य रसो की प्रधानता
5. संजीव युग का वर्णन
प्रष्नः-3 वीरगाथा काल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
चन्द्रवरदायी - पृथ्वीराज रासो
नरपति नाह - वीसल देव रासो
दानपति विजय - खुमान रासो
विद्यापति - कीर्ति लता
खुसरो - खुसरो की पहेलिया
प्रष्नः-4 भक्ति काल किसे कहते है इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -परिभाषा- भक्तिकाल में अधिकतर कवियो ने भगवान की भक्ति से ओढ-प्रोढ होकर भगवान श्री कृष्ण और श्रीराम के प्रति कविताये लिखि इस को भक्ति काल कहते है।
विषेषताएः-
1. साकार में एवं निराकार ब्रम्ह जी
2. रहस्यवाद कविता का प्रारम्भ
3. समस्त काव्य षैलियो का प्रयोग
4. उध्यात्मिकता औश्र सदाचार की प्रणय
5. प्रेम और सौन्दर्य का चित्ररण
प्रष्नः-5 भक्ति काल कितने भागो मे बाॅटा गया है।
उत्तर - भक्ति काल को दोे भागो मे बाॅटा गया है
1. सगुण भक्ति धारा 2. निर्गुण भक्ति धारा
प्रष्नः-6 निर्गुण भक्ति धारा को कितने भागो में बाॅटा गया है।
उत्तर - निर्गुण भक्ति धारा को दो भागो में बाॅटा गया है
1. ज्ञानमार्गी षाखा 2. प्रेममार्गी षाखा
प्रष्नः-7 सगुण भक्ति धारा को कितने भागो में बाॅटा गया है।
उत्तर- सगुण भक्ति धारा को दो भागो में बाॅटा गया है
1. रामभक्ति षाखा 2. कृष्णभक्ति षाखा
प्रष्नः-8 निर्गुण भक्तिधारा के ज्ञानमार्गी षाखा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएॅ लिखिए ।
उत्तर - कवि रचनाएॅ
कबीरदास - बीजक
रैदास - रैदास के पद
सुन्दरदास - सुन्दर विलास
गुरूनानक देव - गुरूवाणी
प्रष्नः-9 प्रेममार्गी षाखा के प्रमुख कवि ओर उनकी रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
जायसी - बीजक
कुतवन - पदमावत
उसमान - चित्रावली
मझंन - मधु मालती
प्रष्नः-10 सगुण भक्ति धारा के राममार्गी षाखा के प्रमुख कवि ओर रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
रसखान - रसखान की सवैया
तुलसीदास - रामचरित्रमानस
रहीम - दोहीवली ष्
स्वामी अग्रदास - राम ध्यान मन्जरी
प्रष्नः-11 कृष्ण मार्गी षाखा के प्रमुख कवि ओर रचनाए लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
मीराबाई - मीरा के पद
सूरदास - सूरसागर , सूरासारावली
नरोत्मदास - सुदामा चरित्र
रसखान - प्रेम वाटिका
प्रष्नः-12 भारतेन्दु युग की विषेषताए लिखिए
उत्तर - 1. देष प्रेम की रचनाए के माध्यम से राष्ट्रिता की भावनाओ का विकास
2. सामाजिक चेतना का विकास
3. अंग्रेजी षिक्षा का विकास
4. विभिन्न काव्य भावो का प्रयोग
5. राष्ट्रीय भावना ,भक्ति भावना , प्रकृति चित्रण का प्रयोग
प्रष्नः-13 भक्ति काल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग कहा जाता है।
उत्तर -कविता में जगतनियता जीवन मानवता के स्वर्ण भूजने लगे इन तत्वो के प्रकाष में इस युग जिस नीति काव्य की रचना हुई है उसमे सामाजिक सदाचार का मार्ग प्रषास्त किया इस काल में राजनैतिक सस्कृतिक सामसजिक और धार्मिक सभी क्षेत्रो का विकास हुआ उत्कर्ष साहित्य लेखन,समाज,सुधार सार्कता आदि के कारण ही इस काल को हिन्दी साहित्य का भक्तिकाल कहा जाता है।
प्रष्नः-14 प्रगतिवादी किसे कहते है इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर - परिभाषा - प्रगतिवाद का अर्थ है आगे बढना तथा जो विचार धारा हमे आगे बढने की प्रणा देती है उसी को हम प्रगतिवाद कहते है जो समाज मे व्यस्त व्यर्थ आडम्बर परम्पराओ को समाप्त कर समानता का बल देती हैै।
विषेषताए-
1. इस काव्य में रूढीवादी विचार धाराओ का जमकर विरोध किया गया है
2. प्रगतिवाद काव्य में षोषण के प्रति घृणा तथा षोषित बर्ग के प्रति दया एवं करूणा का भाव प्रदर्षित किया गया है
3. इस काव्य में नारी को पुरूष के सम्मान अधिकार दिलाने तथा इस बंधन से युक्त कराने का प्रयास किया गया है
4. नारी के प्रति आधार भाव प्रकट किया गया है।
प्रष्नः-15 प्रगतिवादी कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
सूर्यकान्तत्रिपाठी निराला - कुकुरमुता
रामधारीसिह दिनकर - करूक्षेत्र
सुमित्रानन्दन पंत - युगवाणी
केदारनाथ अग्रवाल - फूल नही रंग बोलते है।
प्रष्नः-16 प्रयोगवादी किसे कहते है एवं विषेषताए लिखिए
उत्तर -परिभाषा - यह कविता जिसमे प्रयोग के नाम पर भाव विचार प्रतिक्रिया अंलकार आदि सभी में परिवर्तन किया जाता है उसे प्रयोगवाद कहते है।
विषेषताए-
1. प्रयोगवादी कवियो ने पुराने एवं प्रचलित उपमानो के स्थान पर नवीन उपमानो का प्रयोग किया है।
2. जीवन के वास्तविक रूप का अर्थात चित्रण प्रस्तुत किया है।
3. भाव विचार छन्द अंलकारो को में नवीन प्रयोग किया है ।
4. नई नई भाषाओ का मिश्रिक रूप से दिखाया गया है।
5. इस युग की कविता ह्रदय की न होकर मस्तिक की देन है।
प्रष्नः-17 प्रयोगवादी कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
धर्मवीर भरती - अन्धायुग
सर्वेस्वर दयाल सक्सैना - एक सूनी नाव
गिरजा कुमार माथुर - धूप की धान
गजानन्द माधव मुक्ति बोध - चाॅद का मुह टेडा
प्रष्नः-18 छायावाद किसे कहते है एवं विषेषताए लिखिए
उत्तर -परिभाषा -जब परमात्मा की छाया आत्मा पर पडती है और आत्मा की छाया परमात्मा लगे तो हम उसी छाया को छायावादी कहते है।
विषेषताए-
1. छायावादी कवियो ने अपनी कविताओ मे और कहानियो मे नारी की सुन्दरता का वर्णन किया हैै
2. छायावादी कवियो नंे प्रकृति की सुन्दरता का वर्णन किया है।
3. छायावादी कवियो ने आलौगिक प्रेम का वर्णन किया है।
4. छायावादी कवियो ने वेदना और निराषा की भावना का चित्रण किया है।
5. छायावादी काव्य मे नवीन छन्दो का अंलकारो का प्रयोग किया गया है।
प्रष्नः-19 छायावादी कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
महादेवी वर्मा - नीरजा
सुमिन्त्रानन्दन पंत - युगवाणी
जयषंकर प्रसाद - कामायनी
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला - परिमल
प्रष्नः-20 प्रयोगवादी और प्रगतिवादी काव्य मे अन्तर लिखिए
उत्तर-
प्रयोगवादी
प्रगतिवादी
इनमे जीवन के प्रति यर्थातवादी दृष्टि कोण की प्रधानता है।
इनमे जीवन के प्रति यर्थातवादी दृष्टि कोण है।
काव्य में नवीन विम्बयोजना एवं नये षब्दो का प्रयोग हुआ है।
काव्य में साधारण बोल चाल की भाषा का प्रयोग किया है।
इसमे कुण्डलो और वाचनाओ को चितरित किया गया है।
इसमे रूढी वादी विचार धाराओ का प्रयोग किया गया है।
मध्यम वर्ग के आक्रोष को दर्षाया गया है।
षोषित वर्ग के प्रति सहानभूति दर्षाई गई है।
प्रष्नः-21 नई कविता की विषेषताए
उत्तर- 1. प्रयोेग में नवीनता 2. अनूभूतियो का वास्तविक चित्रण 3. नई कविता के हरक्षण को सत्य कहलाती है 4. नई कविता की वाणी अपने परिवेष के जीवन के अनुभव पर आधारित है 5. नई कविता में लघुमानक को स्वीकार करती है।
प्रष्नः-22 नई कविता के कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर - कवि रचनाएॅ
भवानीप्रसाद मिश्र - सन्नाटा
जगदीश गुप्त - नाव के पाव
युक्ति बोध - चाॅद का मुह टेढा
धर्मवीर भरती ्- अन्धायुग
प्रष्नः-23 छायावादी और रहस्यवादी में अन्तर लिखिए
उत्तर -
छायावादी
रहस्यवादी
इसमे हम अपनी ही आत्मा के दर्षन करते हैै।
इसमे हम ईष्वर की आभा के दर्षन करते है।
इसमे कल्पना की प्रधानता होती है।
इसमे चिन्तन की प्रधानता होती है।
इसमे भावना की प्रधानता होती है।
इसमे ज्ञान और बुद्धि की प्रधानता होती हैं
यह काव्य प्रकृति मूलक है।
यह काव्य दर्षानिक मूलक है।
इसमे प्रमुख कवि सुमित्रानन्दन पंत और महादेवी वर्मा है।
इसके प्रमुख कवि राजकुमार वर्मा और जयषंकर प्रसाद है।
प्रष्नः-24 रहस्यवादी किसे कहते है इसके प्रमुख कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर- परिभाषा:- वेदो मे उषा ,मेघ, सर्ता आदि के वर्णन में अव्यक्त परमात्मा के स्वरूप को लक्ष्य किया गया है। यह प्रकृति और जगत का रहस्यवाद कहलाता है।
कवि रचनाएॅ
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला - अनामिका
जयषंकर प्रसाद - झरना
सुमित्रानन्दन पंत - वीणा
महादेवी वर्मा - नीरजा
प्रष्नः-25 रहस्यवाद की विषेषताये लिखिए
उत्तर -1. विरह वेदना की अभिव्यक्ति 2. इसमे चिन्तन की प्रधानता है 3. इसकी प्रकृति दार्षिनिक मूलक है 4. इसमे ज्ञान और बुद्धि की प्रधानता है 5. इस कविता मे अप्रस्तुत योजना की नूतनता है।
प्रष्नः-26 रीतिकाल का परिचय दीजिए
उत्तर - रीतिकाल का श्रंगार काल भी कहते है इस काल मे चरण और भान्तो के द्वारा अपने आश्रय दाताओ की प्रषंसा युद्ध आखेट का वर्णन नारी की सुन्दरता का चित्रण लक्ष्य ग्रथो की रचना इस काल मंें प्रमुख रूप से हुई है। इस काल की रचनाओ को रीति ग्रन्थ कहा जाता है।
प्रष्नः-27 रीतिकाल कीे प्रमुख विषेषताए कवियो के नाम एवं रचनाऐ लिखिए
उत्तर -1. इस काल के लक्षण ग्रन्थो की रचना प्रमुख रूप से हुई है 2. कविता में श्रंगार रस की प्रधानता है 3. नायका के नक सिक का वर्णन 4. ब्रजभाषा का प्रयोग 5. प्रकृति का अधिपन रूप का चित्रण।
कवि रचनाएॅ
विहारी - विहारी सतसई
केषवदास - राम चन्द्रिका
भूषण - षिवा बावनी
पद्माकर - जगत विनोद
//गद्य साहित्य का विकास//
प्रष्नः-1 यात्रावृत किसे कहते है
उत्तर -इसमे लेखक विषेष दर्षानिक स्थलो को देखकर वर्णन करता है उसे यात्रावृत कहते है।
यात्रावृत यात्रावृतकार
देष -विदेष - रामधारीसिह दिनकर
आखरी चिन्ह तक - मोहन राकेष
प्रष्नः-2 रेखाचित्र किसे कहते है रेखाचित्र और रेखा चित्रकारो के नाम लिखिए
उत्तर - रेखाचित्र षब्द दो षब्दो से मिलकर बना है रेखा $ चित्र से मिलकर बना है इसमे लेखक किसी वर्णन के भक्ति के उपर कहानी लिख कर भक्ति के मान भावो को रेखा और चित्रो द्वारा प्रकट करता है उसे रेखाचित्र कहते है।
रेखाचित्र रेखाचित्रकार
फेरीवाला - महादेवी वर्मा
नीव की ईट - रामवृक्ष बेनीपुरी
प्रष्नः-3 नाटक की परिभाषा एवं नाटक और नाटककारो के नाम लिखिए
उत्तर - नाट क एक दृष्य काव्य है जिसका आनन्द रंग मंच पर अभिनाभ देखकर लिया जाता है लेकिन आनन्द की पूर्ण अनुभूति रंग मंच पर देखकर होती है।
नाटक नाटककार
अन्धेरे - भरतेन्दु हरिषचन्द्र
झाॅसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा
विक्रमादित्य - उदयषंकर भट्ट
लहरो का हंस - मोहन,राकेष
प्रष्नः-4 नाटक के तत्व लिखिए है
उत्तर - 1. कथा वस्तु 2. संवाद 3. चरित्र चित्रण 4. भाषा षैली 5. अभिनिता 6. उद्देष
प्रष्नः-5 कहानी की परिभाषा लिखिए
उत्तर - कहानी मे जीवन के सुन्दर एवं महत्वपूर्ण छणो का चित्रण होता है जिसे सुनकर श्रोता की आनन्द प्राप्त होता है उसे कहानी कहते है।
प्रष्नः-6 कहानी एवं कहानीकारो के नाम लिखिए
कहानी कहानीकार
पुरूषकार - जयषंकर प्रसाद
उसके कहा था - चन्द्र षर्मा गुलेरी
पूस की रात - मुषीप्रेम चन्द्र
पंचपरमेष्वर - मुषीप्रेम चन्द्र
प्रष्नः-7 कहानी के तत्व लिखिए है
उत्तर - 1.कथानक 2. चरित्र चित्रण 3. संवाद 4. भाषा षैली 5. उद्देष 6. देषकाल वातावरण
प्रष्नः-8 गंद्य की गौण विधाओ के नाम लिखिए
उत्तर - 1.जीवनी 2. संस्मरण 3. आत्मकथा 4. यात्रावृत 5. महाकाव्य 6. रिर्पोताज 7. डायरी 8. भेटवार्ता
प्रष्नः-9 जीवनी किसे कहते है जीवनी और जीवनीकारो के नाम लिखिए
उत्तर - जीवनी का तात्पर्य है किसी महानभक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक की सभी घटनाओ का वर्णन किया जाता है।
जीवनी जीवनीकार
कमल का सिपाही - अमृत रावा
निराला की साहित्य साधना - डाॅ रामविलास षर्मा
आवारा मसीहा - विष्णुप्रभाकर
प्रष्नः-10 आत्मकथा किसे कहते है आत्मकथा और आत्मकथाकारो के नाम लिखिए
उत्तर - भाषा के माध्यम से अपने आप पर विती हुई बातो का लिखना ही आत्मकथा कहलाता है।
आत्मकथा आत्मकथाकारो
कुछ आप बीती कुछ जग बीती - भारतेन्दु हरिषचन्द्र
मेरी आवष्यकतायें - बाबू गुलाब राय
मेरी आत्मकहानी - चर्तुसेन षास्त्री
प्रष्नः-11 निबन्ध किसे कहते है निबन्ध और निबन्धकारो के नाम लिखिए
उत्तर -आचार्य रामचन्द्र षुक्ल के अनुसार आदि गद्य कवियो व लेखको की कसौटी है। तो निबंध गद्य की कसौटी है इसका आषय है कि निबन्ध से गद्यकार के लेखक की उत्कृष्टता का ज्ञान होता है।
निबन्ध निबन्धकारो
चिन्तामण्डी - आचार्य रामचन्द्र षुल्क
सम्प्रदायिकता औश्र राष्ट्रीयता - बाबू गुलाब राय
क्या लिखू - अदुम्मलाल ,पुन्नालाल
मै मजदूर हूॅ - डाॅ भगवतषरण उपाध्याय
प्रष्नः-12 निबन्ध के तत्व लिखिए
उत्तर- 1.कथानक 2. चरित्र चित्रण 3. संवाद 4. भाषा षैली 5. उद्देष 6. देषकाल वातावरण 7. पात्र योजना।
प्रष्नः-13 भारतेन्दु युग के निबन्धो की विषेषताए लिखिए
उत्तर - 1. समाज सुधार की भावना 2. राष्टीयता व देष प्रेम की भावना 3. अन्धविष्वासे व रूढियो पर प्रहार 4. व्यगाांत्मक भाषा षैली का प्रयोग।
प्रष्नः-14 द्विवेदी युग के निबन्धो की विषेषताए लिखिए
उत्तर - 1.विषय वस्तु की गम्भीरता 2. समाज सुधार की भावना 3. हास्य व्यगांत्मक ष् षैली का प्रयोग 4. हास्य परिनिस्तता
प्रष्नः-15 निबन्ध के गद्य की कसौटी को क्या कहते है।
उत्तर - यह कथन आचार्य रामचन्द्र षुक्ल जी का है इसका अभिप्राय है कि पद्य की अपेक्षा गद्य लिखना बहुत ठीक क्योकि 10 पक्तियो वाले काव्य मे अगर एक ही बात अच्छी लिख जाती तो कवि प्रषंसा का भावी होता है परन्तु गद्य के सन्दर्भ में ऐसा नही देखा जाता है गद्य का एक एक विचार सदपूर्ण नही होता है तो गद्य लेखको की प्रषंसा नही की जाती है इसलिए गद्य में निबंध लिखना कठिन काम होता हैइसके विचार की तारतम्मता रोचकता स्वच्छता आत्मीयता आदि का समावेष होता हैइसी लिए निबंध को गद्य की कसौटी कहते है।
प्रष्नः-16 हिन्दी में उपन्याय सम्राट किसे कहते है एवं अनेक उपान्यासो के नाम लिखिए
उत्तर - हिन्दी मे प्रेमचन्द्र को उपन्यास सम्राट कहा जाता है वास्तव में प्रेमचनद्र के अवतरण के साथ हिन्दी उपन्यास को षसक्त प्रतिभा का प्रभाव षाली माना जाता है। प्रेमचन्द्र ने नवजात उपन्यास को पूर्ण विकास तक पहुचाया और विषय तथा सिल्क दोनो दृष्टियो मे उपन्यास साहित्य को सिद्ध किया है इन्होने उपन्या समे मानव की समस्याओ को सुधार कर राजनैतिक सामाजिक उनके समाधान दिये है इसलिए हिन्दी में प्रेमचनद्र जी को उपन्यास सम्राट कहा जाता है।
उपन्यास के नाम - गोदन , कर्मभूमि, रंगभूमि,सेवासदन,कर्वला आदि
प्रष्नः-17 जीवनी और आत्मकथा में अन्तर लिखिए
उत्तर -
जीवनी
आत्मकथा
जीवनी लेखक द्वारा लिखी जाती है।
आत्मकथा स्वयं के द्वारा लिखी जाती है।
जीवनी में किसी दूसरे का चरित्र चित्रण किया जाता है।
आत्मकथा में लेखक स्वयं के बारे में लिखता है।
जीवनी किसी महापुरूष के जीवन पर आधारित होती है
आत्मकथा में लेखक अपनी कथा लिखता है
जीवनी सत्य घटना पर आधारित है।
आत्मकथा काल्पनिक भी हो सकती है।
ज्ीवनी संक्षिप्त होती है।
आत्मकथा में विस्तार होता है।
प्रष्नः-18 रेखाचित्र की विषेषताए लिखिए
उत्तर- 1.रेखाचित्र काल्पनिक हो सकता है 2. रेखा चित्र किसी भी साधारण विषय पर लिखा जा सकता है 3. रेखाचित्र विस्तृत होता है 4. रेखा चित्र रंगचित्र न होकर षब्द चित्र होता है।
प्रष्नः-19 सस्मरण किसे कहते है।
उत्तर - सस्मरण का तात्पर्य है। सस्मक स्मरण आर्य जब लोषक स्वयं की अनुभूति की गई घटनो को व्यक्ति या वस्तु का याचिर्का वर्णन करता है तो वह सस्मरण कहलाता है।
प्रष्नः-20 संस्मरण के लेखक ओर उनकी रचनाए लिखिए
उत्तर- लेखक रचनाए
पदमसिह षर्मा - अकबर इलावादी
षिवरानी देवी - प्रेमचन्द्र घर में
उपेन्द्रनाथ - मंटी मेरा दुष्मन
महादेवी वर्मा - पथ के साथी
प्रष्नः-21 उपन्यास और कहानी में अन्तर लिखिए
उपन्यास
कहानी
उपन्यास में मुख्य कथा के साथ साथ प्राषंसिक कथाए भी होती हैं।
कहानी मे केवल एक ही कथा होती है।
उपन्यास सम्पूर्ण जीवन को लक्ष्य बनाकर लिखा जाता है।
क्हानी में किसी जीवन की किसी भी घटना पर वर्णन किया जाता है।
उपन्यास का आकार बडा है।
कहानी का आकार छोटा होता है।
उपन्यास को पढने मे अधिक समय लगता है।
क्हानी को पढने मे कम समय लगता है।
उपन्यास मे पात्रो की संख्या अधिक होती है।
कहानी को पढने में कम समय लगता है।
प्रष्नः-22 रिर्पोताज किसे कहते है उसके लेखक एवं रचनाओ को लिखिए
उत्तर - रिर्पाेताज फ्रासीसी षब्द है जो अंग्रेजी के रिर्पोट षब्द से बना है रिर्पोताज का संबंध वर्तमान से होता है ऐ सूचनात्मक एवं तरगांत्मक होती है।
लेखक रचनाऐ
धर्मवीर भारती - युद्धयात्रा
समशेर बहाुदर - प्लाट का मोर्चा
भगवती षरण उपाध्याय - खून के छीटे
कन्हैयालाल मिश्र - कण बोले क्षण मुस्कराये
प्रष्नः-23 रिर्पोताज की विषेषताए लिखिए
उत्तर- 1.यह किसी घटना का वास्तविक वर्णन होता है
2. इसमे घटना का विवेचन तथा विष्लेषण होता है।
3. रिर्पोताज मे रेखाचित्र ,कहानी तथा निबन्धो की विषेषताए भी पाई जाती है।
4. इसमे सरलता रोचकता प्रभाव पूर्णत एवं आत्मीयता के गुण पाये जाते है।
5. रिर्पोताज लेखक अपनी अनुभूति को अनन्त निखरे रूप में प््रास्तुत कर दूसरो को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
प्रष्नः-24 नाटक और एकांकी में अन्तर लिखिए
उत्तर-
नाटक
एकांकी
नाटक मे अनेक अंक होते है।
एकाकी में केवल एक ही अंग होता है।
नाटक विस्तृत होता है।
एकाकी संक्षिप्त है।
नाटक में मुख्य कथाओ के साथ साथ अन्य गोढ कथाये भी होती है।
एकांकी में केवल एक कथा होती है।
नाटक मे स्थान ,घटना ओर समय की एकता पर बल दिया जाता है।
एकांकी में सफल तत्वो पर बल दिया जाता है।
नाटक दृष्य काव्य का बडा रूप है।
जब की एकांकी दृष्य काव्य का छोटा रूप है।
प्रष्नः-25 सस्मरण और रेखाचित्र में अन्तर लिखिए
सस्मरण
रेखाचित्र
सस्मरण मे अनुभूति का स्मृति के आधार पर चित्रण होता है।
रेखाचित्र में साकेतिकता के आधार पर चित्रण होता है।
सस्मरण वास्तविक होता है।
जबकि रेखाचित्र काल्पनिक होता है।
सस्मरण संक्षिप्त होता है
रेखाचित्र विस्तृत होता है।
संस्मरण किसी महान व्यक्ति या किसी विषेष घटना से संबंधित है।
रेखाचित्र किसी भी साधारण विषम पर लिखा जा सकता है।
संस्मरण में लेखक तटस्थ नही रहता है।
रेखाचित्र में लेखक पूर्ण तरह तटस्थ होता है।
//रस//
प्रष्नः-1 रस किसे कहते है।
उत्तर- परिभाषा-किसी काव्य को पढने या सुनने से जो आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहते है।
प्रष्नः-2 रस के भेद लिखिए ।
उत्तर -रस के चार भेद होते है
1. स्थाईभाव 2. अनुभाव 3. विभाव 4. संचारी भाव
प्रष्नः-3 स्थाईभाव किसे कहते है।
उत्तर - मनुष्य के ह्रदय में जो स्थाई रूप से निवास करते है उसे स्थाई भाव कहलाते है।
प्रष्नः-4 विभाव किसे कहते है।
उत्तर - मनुष्य के ह्रदय में सोए हुये भावो को जाग्रत करने वाले भाव को विभाव कहते है।
प्रष्नः-5 अनुभाव किसे कहते है।
उत्तर -मनुष्य के ह्रदय की षारीरिक चेष्टाओ को अनुभाव कहते है।
प्रष्नः-6 संचारीभाव किसे कहते है।
उत्तर -मनुष्य के ह्रदय में जो भाव पानी के बुल बुलो की तरह बनते और बिगडते है उसे संचारी भाव कहते है।
प्रष्नः-7 रस की निस्पत्ति कैसे होती है।
उत्तर -सह्रदय के ह्रदय में स्थित स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब रस की निस्पत्ति होती है।
प्रष्नः-8 रस के प्रकार एवं स्थाईभाव लिखिए
उत्तर - रस स्थाईभाव
श्रंगार - रति
हास्य - हास्य
करूण - षोक
वीर - उत्साह
भयानक - भय
रौद्र - क्रोध
वीभत्य - घृणा
अदभुत - आष्चर्य
षान्त - निर्वेद
वात्सल्य - स्नेह
प्रष्नः-9 श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित रति नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब श्रंगार रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण- फेली खेतो मे दूर तलक मखमल सा कोमल हरियाली ।
लिपटी जिसमे रव की किरणे चाॅदी जैसी उजली जाली ।
प्रष्नः-10 श्रंगार रस के प्रकार लिखिए
उत्तर - श्रंगार रस के दो प्रकार होते है।
1. स्ंायोग श्रंगार रस 2. वियोग श्रंगार रस
प्रष्नः-11 संयोग श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - यहाॅ काव्य में नायका नायिका के संयोग की स्थिति का वर्णन होता वहाॅ संयोग श्रंगार रस होता है।
उदाहरण - राम का रूप निहारत जानकी कंकन के नग की परिछाई ।
याते सबे सुधि भूल गई कर टेकि रही पल टारत नाही ।
प्रष्नः-12 वियोग श्रंगार रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - यहाॅ काव्य में नामका नायिका के वियोग का वर्णन किया जाता है उसे वियोग श्रंगार रस कहते है।
उदाहरण -हे मृग हे खग हे मधुकर श्रेणी।
तुम देखी सीता मृग नयनी।
प्रष्नः-13 हास्य रस किसे कहते उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित हास्य नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब हास्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - मे ऐसा सूर वीर हूॅॅ पापड तोड सकता हूॅ।
गुस्सा यदि आ जाये तो कागज को मोड सकता हूॅ।
प्रष्नः-14 करूण रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित षोक नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब करूण रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - देखि सुदामा की दीन दषा करूणा करिके करूणानिध रोये ।
प्रष्नः-15 वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित उत्साह नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वीर रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - बुन्देलो हर बोलो के मुॅह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लडी मर्दानी वह तो झाॅसी वाली रानी थी।
प्रष्नः-16 रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित क्रोध नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब रौद्र रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब षोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे।
प्रष्नः-17 भयानक रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित भय नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब भयानक रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - एक ओर अजगरे लखि एक ओर मृगराय।
बिकल बटोही बीच में परओ मूर्छा खाय।
प्रष्नः-18 वीभत्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित घृणा नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वीभत्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - सिर पर बैठो काग आॅखे दोउ खात निकारत।
खीचत जीवहि स्मार अतिहि आनन्द उप धारत।
प्रष्नः-19 अद्भुत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित आष्चर्य नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब अद्भुत रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - ऐसी वाणी बोलिए मन का भावा खोए।
ओरो को षीतल करे आपहु षीतल होय।
प्रष्नः-20 वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर - परिभाषा- जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित स्नेह नामक स्थाईभाव का जब विभाव अनुभाव और संचारीभावो से संयोग होता है तब वात्सल्य रस की निस्पत्ति होती है।
उदाहरण - बच्चे की तोतली बोली स्नेह जगाती मन मे।
हसने रोने की लीला रोमांच बडाती तन मे।
//छन्द//
प्रश्नः-1 छन्द किसे कहते है।
उत्तर- कविता की स्वयंभावित गति का नियम बृद्धरूप छनद कहलाता है इसमे वर्ण, मात्रा, यति, गति, तुक आदि का ध्यान रखा जाता है।
प्रश्नः-2 छन्द कितने प्रकार के होते है।
उत्तर- छन्द दो प्रकार के होते है 1. माात्र्रिक छन्द 2.वार्णिक छन्द
माात्र्रिक छन्द- जिन छन्दो मे गणना मात्राओ द्वारा आधर पर की जाती है उसे मात्र्रिक छन्द कहते है। जैसे- सोर्ठा, दोहा ,चैपाई, छप्पय छन्द आदि।
वार्णिक छन्द - जिन छन्दो में गणना वर्णो के आधार पर की जाती है।
प्रश्नः-3 कक्ति छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण में 16 ओर 15 के विराम से 31 वर्ण होते है अन्त चरण में गुरू होंता है
उदाहरण - सच्चे हो पुजारी प्यारे तुम प्रेम मन्दिर के ।
उचित नही है तुम्हे दुःख से करायना ।।
करना पडे जो आम्तत्याग अनुराग बस ।
तो तुमे संहर्ष निज भाग की सराहना ।।
प्रश्नः-4 सवैया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण 22 से लेकर 26 वर्ण होते है।
उदाहरण - षेष महेष दिनेष गणेष जाहि निरंतर ध्यावे जाहि।
अनादि अनन्त परिहारे तक तउ पुनि पार जाहि ।।
अनादि अनन्त अछेद, अभेद, सुवेद पार न पावे ।
अहीर की छोहरिया छछिया भरि छाछ पर नाथ नचावे।।
प्रश्नः-5 दुर्मिल सवैया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण 24 वर्ण होते है। इसे चन्द्रकला नाम से भी जानते है।
उदाहरण - इसके के अनुरूप कहे किसको वह कौन सुदेष सुम्मुन्त है।
हमसे सुर लोह समान इसे उनका अनुमान असंगत है।।
कवि गोविन्द्र बखान रहे है सबका अनुभूमि मत यही है।
उपमान विहीन रचा बिधि ने बस भरत के सम भारत है।।
प्रश्नः-6 मन्तगमन्द सवैया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- यह एक वर्णिक छन्द है इसमे चार चरण होते है प्रत्येक चरण 28 वर्ण होते है।
उदाहरण - दुलय भी रघुनाथ बने दुलहि सिय सुन्दर मन्दिर माही।
गावति गीत से मिलि सुन्दरी वेद जुवा जुरि विप्र पढाही ।।
राम का रूप निहारत जानकी कंकन के नख नग पर परिछायी ।
याती सवे सुधि भूलि गयी कर टेकि रही पल टारत नाही ।।
प्रश्नः-7 छप्पय छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- रोला उल्लाला के संयोग के संयोग से छप्पय छन्द बनता है इसमे प्रथम चार चार चरण रोला के तथा अतिंम दो चरण उल्लाला के होते है प्रथम चार चरणो में 11 और 13 के विराम से कुल 24 मात्राए तथा अतिम दो चरणो मे 15 और 13 के विराम से कुल 28 मात्राए होती है।
उदाहरण राला - नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर हैै ।
सूर्य चन्द्र युग मुकुट मेखला रत्नाकर है ।।
नदियाॅ प्रेम प्रवाह फूल तारे मण्डल है।
बन्दीजन खग वृद षेष फल सिहासन है।।
उदाहरण उल्लाला - करते अभिषेक पयोद है बलिहारी इस भेष की ।
हे मातृभूमि तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेष की ।।
प्रश्नः-8 कुण्डलिया छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- इसके छः चरण होते है प्रथम दो चरण दोहा के तथा अतिंम चार चरण रोला के होते है।
उदाहरण दोहा-गुन के गाहक सहसनर बिनु गुन लहे न कोय।
जैसे कागा कोकिला सवद सने सव कोय।।
उदाहरण रोला -सवद सुने सब कोय कोकिला सबे सुहावन ।
दोउन को रंग काग सब गुने अपावन।।
कह गिरधर कविराय सुनो हो ठाकुर मन के।
विनु गुन लहै न कोय सहसनर गाहक गुन के ।।
//अलंकार //
प्रश्नः-1 अलंकार किसे कहते है।
उत्तर - अंलकार का तात्पर्य होता है आभूषण जिस प्रकार सजने सवरने के लिय वस्त्र ओर अभूषण की जरूरत पडती है उसी प्रकाष काव्य की षोभा की बुद्धि करने वाले उपकरणो को अलंकार कहते है।
प्रश्नः-2 अलंकार कितने प्रकार के होते है।
उत्तर - अलंकार तीन प्रकार कार के होते है 1. षब्दालंकार 2. अर्थालंकार 3. उभयलंकार
1. षब्दालंकार - जिन अलंकारो में षब्दो के द्वारा चमत्कार होता है उसे अलंकार कहते है जैसे - अनुप्रास ,ष्लेष,यमक आदि ।
2. अर्थालंकार - जिन अलंकारो मे अर्थाे के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है उसे अर्थालंकार होता है जैेसे- उपमा,रूपक,उत्प्रेक्षा आदि ।
3. उभयालंकार - जिन अलंकारो मे षब्दो और अर्थाे के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है उसे उभयालंकार कहलाता है।
प्रश्नः-3 यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- जहाॅ एक ही षब्द की आवृति एक से अधिक वार हो लेकिन उसके अर्थ भिन्न भिन्न हो उसे यमक अलंकार कहते है।
उदाहरण - 1. कनक कनक ते सो गुणी मादकता अधिकाय ।
या पाये बोरत नर वा खाये बोरात ।।
2. माला फेरन जुग गया, गया मनका फेर ।
करका मनका डारि के मनका -मनका फेर ।।
प्रश्नः-4 ष्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- ष्लेष का अर्थ चिपका हुआ जहाॅ एक षब्द से अधिक अर्थ निकलते है वहाॅ ष्लेष अंलकार कहलाता है।
उदाहरण - रहिमन पानी राखिए, बिन पानी ाब सून।
पानी गये न उबरे मोती मानस चून।।
प्रश्नः-5 उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- जहाॅ एक बस्तु अथवा प्राणी की तुलना अत्यन्त सान्द्रता के कारण प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से किय जाती है। वहाॅ उपमालंकार होता है।
उदाहरण -नंदन वन सी फूल उठी ।
वह छोटी सी कुटिया मेरी।।
प्रश्नः-6 रूपक अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा काव्य मे उपये में उपमान का आरोप सिद्ध होता है वहाॅ रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण-चरण सरोज पखरान लागा
प्रश्नः-7 उत्प्रेक्षा अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा काव्य मे उपये में उपमान की सम्भावाना व्यक्त किय जाती है वहाॅ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण -जनू अषोक अंगार दीन है मृद्विका डारि तवा
माना झूम रहे है तरू मंद पवन के झोके से
प्रश्नः-8 अन्योक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा किसी वस्तु को लक्ष्य मे रखकर कोई बात किसी दूसरे के लिए कही जाती है वहाॅ अन्योक्ति अलंकार कहलाता है।
उदाहरण - माली आवत देखकर कलियन करी पुकार ।
फूले फूले चुन लिए काली हमारी बाग।।
प्रश्नः-9 अतिष्योक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा पर किसी बात या विषय को अत्यन्त बडा चढाकर प्रस्तुत किया जाता है वहाॅ अतिष्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण - हनुमान जी की पूछ मे लगन नही पाई आग।
लंका सारी जरि गई गये निसाचर भाग ।ं।
प्रश्नः-10 वक्रोक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा कथित ध्वनि के द्वारा दूसरा अर्थ ग्रहण किया जाए वहाॅ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण - में सुकुमारि नाथा बन जोगू ।
तुम्ही उचित तप मो कहू भोगू ।।
प्रश्नः-11 ब्याजस्तुति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा निन्दा के बहाने किसी की प्रषंसा की जाती है देखने मंे निन्दा लेकिन हो वास्तव प्रषंसा वह ब्याजस्तुति अलंकार होता है।
उदाहरण - जमुना तुम अभिवेकनी कौन लियो यह ब्रग
पापिन सो निज बन्धु कौ मान करावत भंग
प्रश्नः-12 ब्याजनिन्दा अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा प्रषंसा के बहाने किसी की निन्दा की जाती है देखने मंे प्रषंसा लेकिन हो वास्तव निन्दा वह ब्याजनिन्दा अलंकार होता है।
उदाहरण - तुम तो सखा ष्याम सुन्दर के ।
सकल जोग के ईष।।
प्रश्नः-13 विभावना अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा कारक के उपस्थित न होने पर भी कार्य न होने पाया जाये जो वहाॅ विभावना अलंकार होता है।
उदाहरण - बिनु पद चले सुने बिनु काना ।
कर बिनु करम करे विधि नाना।।
अथवा
आनन रहित संकल रस भोगी ।
बिनु बानी बक्ता बड भोगी ।।
प्रश्नः-14 व्यतिरेक अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा उपमेय को उपमाना बताया जाए बहाॅ व्यातिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण - सिम सूूवरन सखमाकर सुखद न थोर।
सिय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।
प्रश्नः-15 विषेषोकित अंलकार की परिभाषा उदा सहित समाझाइये
उत्तर -परिभाषा -जहाॅं कारण के उपस्थ्तिि होने पर भी कार्य नही होता वहाॅं विषेषोकित अंलकार होता हैं।
उदाहरण - इन नेनिन को कुछ उपजी बडी बलाय ।
नीर भरे नित प्रिति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
सभी कवियो के कलापक्ष और साहित्य में स्थान
1. कलापक्ष - आपका कलाा पक्ष भी भाव पक्ष की तरह श्रेष्ठ है आपकी भाषा परिभाषित हो जिसमे षब्दो का चयन अनूठा है कम से कम षब्दो में अधिक मर्मस्पर्षी अर्थ की अभिव्यक्ति की क्षमता होने के कारण गागर मे सागर भरने की कहावत आपके काव्य मेे खरी उतरती है आपके काव्य के कारण कई भद्दापन नही आया हैं आपकी भाषा भावो के अनुकूल है काव्य मे ताजगी और सहजता है यदपि आपके कलापक्ष को सबल बनाने का प्रयास नही किया गया है फिर भी आपका कलापक्ष सुन्दर है।
2. साहित्य में स्थान - आपको हिन्दी साहित्य मे आपका कला पक्ष और भाव पक्ष दोनो ही स्मरणीय है तथा उच्चकोटी के है आप हिन्दी साहित्य के कवि सम्राट है आपका काव्य जन जीवन के लिए प्रेरणा स्त्रोत वन गया है आपका व्यक्तित्व सारे हिन्दी साहित्य में अनुपम है।
ज्मगज ठवगरू तुलसीदास जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- रामचरित्र मानस , विनय पत्रिका, कवितावली ,गीतावली , जानकी मंगल आदि रचनाऐ।
2. भाव -पक्ष - तुलसीदास जी का भाव जगत के सग्रह उनकी रचनाओ में धार्मिक , सामाजिक , दार्षिनिक , भावो का सागर लहराता है। तुलसीदास जी मर्यादा कवि थे जाति वादि का भेद भाव वे एक सीमा तक पहुचकर स्वीकार करते थे लेकिन भक्ति के स्तर पर पहुचकर उचे नीचे भावो को एक दम अस्वीकार करते थे तुलसीदास जी की रचनाओ मंे रूपक ,अनुप्रास , अन्योक्ति आदि अलंकारो का सुन्दर प्रयोग किया है। उनकी कविता भेदो जैसी पवित्र तथा खीर जैसी स्वादिष्ट है।
ज्मगज ठवगरू जयषंकरप्रसाद जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- कामायनी ,लहर ,आॅसू, झरना, प्रेम पवित्र,आदि रचनाऐ है।
2. भाव -पक्ष - जयशंकर प्रसाद छायावाद के जनक तथा प्रतिनिधि कवि है प्रसाद जी ने आपने अपने महाकाव्य कामयानी मे समरस्ता का संदेष दिया है। इनके महाकाव्य मे दार्षानिकता का पुट भी देखा जा सकता है इनका साहित्य भक्ति और ओज का साहित्य है उसमे उत्साह और उमंग का आलोक है प्रेम करूणा और सौन्दर्य की आभा झलकती है उनके काव्य में प्राकृति छवियो के साथ ही प्राकृति प्रतिको का अतुल्य सौन्दर्य है।
ज्मगज ठवगरू सूरदास जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- सूरसागर ,सूरसारावली , साहित्स लहरी इन्होने जीन ही रचनाओ का सृजन किया है।
2. भाव -पक्ष- महाकवि सूरदास भगवान श्री कृष्ण के अन्यन भक्त थे उन्होने कृष्ण की लीलाओ का वर्णन अपने स्मपूर्ण काव्य मे किया है जिसमे बाल लीला , राधा कृष्ण का प्रेम ,और गोपियो के विरह के पीडा का प्रधान किया है सूरदास जी वात्सल्य रस के साम्राट है उनके काव्य मे बालको की क्रीडा चपलता के अनेक उदाहरण मिलते है कि सूरदास जी बाल मनो विज्ञान के ज्ञाता तथा कुषल चित्राकार थे।
ज्मगज ठवगरू कबीरदास जी का जीवन परिचय
1. रचनाएॅ- कबीरदास जी की रचनाओ को तीन रूप में विभक्त किया गया है
1. षाखी
2. सवद
3. रमेनी
2. ज्मगज ठवगरू मैथलीषरण गुप्त जी का जीवन परिचय भाव -पक्ष- कबीरदास जी निगुण ब्र्रम्ह के उपासक थे कबीरदास जी के काव्यो में आत्मा और परमात्मा के संबंधो की स्पष्ट व्याख्या मिलती है कबीर ने अपने काव्य में परमात्मा को प्रियतम एवं आत्मा को प्रेषसी के रूप में चित्ररण किया है सामाजिक जीवन में फेली बूराइयो को मिटाने के लिए कबीर की वाणी कर्कष हो उठी और कबीर ने सामाजिक बुराइयो का खण्डन तो किया ही है बल्कि आदर्ष जीवन के लिए नीति पूर्ण उपदेष भी दिया है।
1. रचनाएॅ- साकेत ,भारतभारतीय , जयभारत, पंचवटी , गृरूकुल , यषोधरा आदि रचनाए है।
2. भाव -पक्ष - राष्टीय भावनाओ का जाग्रत करना आपके काव्य की विषषताए है इतिहासिक प्रसंगो को आपने बडे ही रोचक एवं मार्मिक ढंग से आपने काव्य में समाहित किया है राष्टीय भावनाओ पर आपके काव्य में गहन चिन्तन के दर्षन होते है प्राचीन भारतीय संस्कृति में गहन आस्था रखने के साथ साथ गुप्त जी का ह्र्रदय राष्टीय भावनाओ से ओत प्रोत है।
सभी लेखको के जीवन परिचय एवं भाषा ष्षैली व साहित्य में स्थान
1. भाषा - आपकी भाषा सरल सुबोध और भाव भरी है जिस प्रकार उद्धान में रंग बिरंगे फूल से उद्धान की षोभा मे चार चाॅद लगते है लग जाते है उसी प्रकार आप के गद्य में कहावतो, मुहावरो , लोक्तियो के प्रयोग से चार चाॅद लग जाते है आपने अपनी भाषा मे तत्सम षब्दो का प्रयोग किया है और आवष्यता अनुसार उर्दू , फारसी तथा संस्कृत आदि अन्य भाषाओ के षब्दो के प्रयोग मे संकोख् नही किया है।
2. भाषा षैली- आपकी धारा वाई व श्रुटियो षैली मे विविधिता के दर्षन होतंे हैं अपने वर्णात्मक ,भावात्मक , विचारात्मक तथा समीक्षात्मक ष्षैली का प्रयोग किया है आपके गंम्भीर मौलिक विचारो से आपकी कहानी और जीवनियो में रोचकता उत्पन्न हो गई है।
3. साहित्य में स्थान - आपका हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है विषम की विविधता सरलता के लिए आप सदैव सम्मानीय एवं स्मरणीय रहेगे है।
लेखक - रचनाएॅ
1. आचार्य रामचन्द्र षुक्लजी - चिन्तामणि विचार वीभी ,त्रिवेणी,रस, मीमींष, हिन्दी साहित्य का इतिहास आदि
2. षरद जोषी - तिलिस्म, पिछले दिन ,परिक्रमा ,अन्धो का हाथी , किसी बहाने आदि
3. डाॅ रघुवीरसिह - सप्तदीप ,बिखरे फूल, जीवन कण, षेष स्मृतिया आदि
4. डाॅ सुरेष षुक्लचन्द्र - स्वप्न का सत्य , कामाकथा ,सर्मपण ,प्रायष्चित आदि
5. प्ंा. रामनारायण उपाध्याय - आमपल्लव चर्तुचिडियाॅ, हम तो बाबुल तेरे बाग की चिडिया है।
//काव्य रूप //
प्रश्नः-1 काव्य किसे कहते है और इसके भंेद लिखिए
उत्तर - रसात्मक वाक्यं काव्यम् अर्थात रस युक्त काव्य को ही काव्य कहते है।
काव्य के भेद होते है 1. दृष्य काव्य 2. श्रव्य काव्य
1. दृष्य काव्य - जिस काव्य का रंगमंच पर अभिनम देखकर आनन्द लिया जाता है इस काव्य को दृष्यकाव्य कहते हे। जैसे - नाटक ,एकांकी आदि
2. श्रव्य काव्य - जिस काव्य को पढकर या लिखकर आनन्द लिया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते है जैसे - कविता ,कहानी, उपन्यास आदि
प्रश्नः-2 श्रव्य काव्य के भंेद लिखिए
उत्तर - श्रव्य काव्य के दो भंेद होते है 1. प्रबन्धकाव्य 2. मुक्तककाव्य
1. प्रबन्धकाव्य- यह श्रव्य काव्य का प्रमुख भेद होता है प्रबंन्ध काव्य के छन्द एक कथा के धागो में माला की तरह पिरोय रहते है। इसके छन्दो का संबंध पूर्ण पर होता है।
2. मुक्तककाव्य- मुक्तककाव्य में एक अनुभूति एक भाव ओर एक ही कल्पना का चित्रण होता है इसका प्रत्येक छन्द स्वयं पूर्ण होता तथा पूर्णा पर संबन्ध से मुक्त होता है।
प्रश्नः-3 प्रबंन्ध काव्य के कितने भंेद लिखिए
उत्तर - प्रबंन्ध काव्य के दो भंेद होते है। 1. महाकाव्य 2. खण्डकाव्य
1. महाकाव्य - महाकाव्य में जीवन की विस्तृत व्याख्या होती है इसकी कथा इतिहास प्रसिद्ध होती है इसका नाटक महान चरित्र वाला होता है इसके कम से कम आठ सर्ग या खण्ड होते है इसमे मूल कथा को पुष्1. महाकाव्य करने के लिए अन्य कथाए जुडी होती है जैस - रामचरित्र मानस , पद्मावत , साकेत , कामायनी आदि
2. खण्डकाव्य - खण्डकाव्य में जीवन के किसी एक भागत , एक घटना अथवा चरित्र का चित्रण किया जाता है जिसकी व्यारका संक्षिप्त होती है जैसे पंचवटी ,सुदामा चरित्र , हल्दी घाटी आदि।
प्रश्नः-4 मुक्तक काव्य के कितने भंेद लिखिए
उत्तर - मुक्तक काव्य के दोे भंेद होते है 1. पाठ्य मुक्तक 2. गेय मुक्तक
1. पाठ्य मुक्तक- पाठ्य मुक्तक में विषम की प्रधानता होती है जिसके प्रसंगानुसार भावानुभूति व कल्पना का चित्रण होता है।
2. गेय मुक्तक - इसे गीत या प्रगति भी कहते है इसमे भाव सौन्दर्यबोध अभिव्यक्ति की सक्षिप्तता संगीतात्मकता और लयात्मकता की प्रधानता होती है।
प्रश्नः-5 महाकाव्य और खण्डकाव्य मे अन्तर लिखिए
उत्तर -
महाकाव्य
खण्डकाव्य
महाकाव्य में जीवन का विस्तृत व्यारका होती है।
खण्डकाव्य में जीवन की संक्षिप्त व्यारका होती है।
महाकाव्य मे सम्पूर्ण घटनाओ का वर्णन होता है।
खण्ड काव्य में किसी एक घटना का वर्णन होता है
महाकाव्य मे नायक महान चरित्र वाला होता है
खण्डकाव्य मे नायक महान सामान्य चरित्र वाला होता है
महाकाव्य मे कई छन्दो का प्रयोग होता है।
खण्डकाव्य मे एक छन्दो का प्रयोग होता है।
महाकाव्य में श्रंगार षान्त,वीर,और श्रंगार रस मे से किसी एक रस की प्रधानता होती है।
खण्डकाव्य में करूण और श्रंगार रस की रस की प्रधानता होती है।
प्रश्नः-6 प्रसाद गुण किसे कहते है उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर- जिस काव्य को पढने या सुनने से ह्रदय प्रभावित हो बुद्धि निर्मल बने और मन खिल उठे उसे प्रसाद गुण कहते है।
उदाहरण- तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर
प्रभु मेरा जीवन भी हो सुन्दर
//भाव विस्तार //
प्रश्नः-1 दूर के ढोल सुहावने होते है। भाव विस्तार कीजिये ।
उत्तर-दूर के ढोल सुहावने होते है इस कहावत का तात्पर्य है कि कोई भी पदार्थ दूर होने के फलस्वरूप मोहक तथा सुहावना लगता है क्योकि दूर का पदार्थ वास्तविकता से अलग हो जाता है इसी लिए उसमे कर्कस्यता का आभास नही हो पाता है वृद्धो को अतित एवं युवको को भविष्य आक्रसित लगता है लेकिन जब बे कर्म के क्षेत्र में प्रवेष करते है तो सत्य का ज्ञान होता है अतित एवं अज्ञानता दूर के ढोल की तरह सुहावने लगते है समझा जाता है कि दुनिया दूर से जितनी लुभावनी लगती है ऐसी आक्रमत नही होती इसी लिए यह कथन सत्य है कि दूर के ढोल सुहावने लगते है।
प्रश्नः-2 धर्म प्रार्थक्त नही एकता का घोतक है भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर-इस संसार में विभिन्न धर्माे का प्रचलन है जिस मनुष्य की जिस धर्म मे आस्थ होती है वह उसी धर्म का पालन कर्ता है धर्म अलग अलग होते हुये भी मूल्य रूप से समान है धर्म भाईचारा ,प्रेम, एकता एवं अंहिसा का संदेष वाहक है धर्म के आधार पर कलह या संघर्ष करना अषोभनीय है धर्म तोडता नही अपितु जोडता है इंसान के दिल और दिमांग मे उधार भावना ,भावना का बीज रोपण करता है धर्म के साधन अलग अलग हो सकते है अतः यह कथन पूरी तरह सत्य है कि धर्म पार्थक्य नही अपितु एकता का द्योतक है।
प्रश्नः-3 साहित्य एवं समाज का घनिष्ट संबंध है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- साहित्य एवं समाज का घनिष्ट संबंध समाज के धरातल पर ही साहित्यकार साहित्य की रचना करता है वह अपने साहित्य के माध्यम से समाज को नवीन बोध एवं दिषा प्रधान करता है लेकिन समाज के अस्तित्व को नकारने पर साहिंत्य का सर्जन नही हो सकता साहित्य तत्कालीन समाज की राजनैतिक धार्मिक विज्ञान कला एवं संभंता संस्कुति का जीवनत अंकन करता है साहित्य के पटन पाटन से तत्कालीन युग की सम्यक जानकारी प्राप्त हो सकती है इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है।
प्रश्नः-4 इ्र्रष्वर किसी धर्म या जाति का नही होता है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-यह बात सत्य है कि ईष्वर निर्गुण निराकार अखण्ड एवं सर्व षक्तिमान है उसे किसी परधि मे समेट कर नही बाधा जा सकता परमपिता होने के फल्रस्वरूप वह सबका है एवं सब उसके समस्त धर्म अनुयायिओ का इस उस पर समान रूप से अधिकार है धर्म का मार्ग अलग अलग होते हुये भी सबका लक्ष्य भी ईष्वर की प्राप्ति होता है वह असीम कृपा सब पर समान रूप से बरसाता है अतःइ्र्रष्वर किसी धर्म या जाति का नही होता है।
प्रश्नः-5 कविता कोमल की चीज है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-मावन मन मे विद्यमान कोमल भावनाओ के प्रकाषन का साधन कविता है भावुक व्यक्ति के भाव उमंगित होते है तब कविता का जन्म होता है अन्य मानवो की तुलना मे कवि कुछ अधिक संवेदना ष्षील तथा भावुक होता है जिन्दगी के कटु एवं मधुर भाव कविता के सहारे व्यक्त होते है कवि के कोमल मानस से कविता की मधुर धारा प्रभावित होने लगती है संवेदन षीलता कोमल ह्रदय मे ही निवास करती है जिस व्यक्ति के मन मे संवेदन षीलता नही है वह न कविता को न समझ सकता है और न ही लिख सकता है अतः यह कहा जाता है। कि कविता कोमल ह्रदय की चीज है।
प्रश्नः-6 बेर क्रोध का आधार या मुख्य है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- क्रोध यदि आम है तो बेर उसका आधार है जिस प्रकार आम की अपेक्षा उसका आधार अधिक टिकाउ होता है उसी प्रकार बेर क्रोध का स्थाई या टिकाउ रूप है जो क्रोध तत्काल प्रदर्षित होने से रह जाता है तो समय आने पर वह बेर के रूप प्रकट होता है जिस प्रकार विषेष ढंग से तैयार किया गया मुरव्वा अधिक समय तक टिकाउ होता है बैसे ही मनुष्य के ह्रदय मे क्रोध अधिक समय तक रहने पर बेर का रूप धारण कर लेता है अतः यह कथन सत्य है कि बेर क्रोध का आचार का मुरव्वा है।
प्रश्नः-7 भगवान के घर में देर अंधेर नही है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- यह बात सत्य है कि ईष्वर सच्चा एवं निष्पक्ष न्याय करने वाला है वह दोषी को सजा देते है तथा निर्दोष की सुरक्षा करते है यह बात देखने मे भी आती है कि कभी कभी निर्दोष व्यक्ति को भी विपत्ति कि जाल में उलझ जाते है जिस मनुष्य की ईष्वर पर आस्था और निष्ठा होती है। वे जानते है कि ईष्वर उसे एक न एक दिन आवष्यक नियाय प्रधान करेगा और विपत्ति के फन्दे से मुक्त का देगा इस प्रकार यह कथन सत्य है कि भगवान के घर में देर अंधेर नही है।
प्रश्नः-8 जवारो जैसे पीताभ गेहू के पौधे का संदेष देते है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर- गेहूॅ का पौधा बडकर मनुष्य को यह षिक्षा देता है कि निमार्ण सदैव विकास की ओर जाता है सृजन को अंधेरे बन्द कमरे मंे नही किया जा सकता है जैसे छोटे दीपक की लोग दूर दूर तक प्रकाष फेलती है उसी प्रकार सृजन का प्रकाष फेलता है व्यक्ति का आचरण षील ,विवेक ,मेहनत , ईमानदारी , आस्था आदि गुण सृजन की मात्रा को आगे की ओर ले जाते है हाल ही में अकुरित गेहू के पौधे मनुष्य यही प्रेरण देते है।
प्रश्नः-9 अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाडता है। भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-अज्ञान आदमी को सर्वत्र पछाडता है मानव जीवन के लिए अज्ञानता एक अभिसाय है ज्ञान के कारण ही मनुष्य आज षक्ति के उच्च षिखर पर पहुच सका है ज्ञान के कारण ही मनुष्य सत्य असत्य अच्छाईया बुराईया को पहचानता है अज्ञानता मनुष्य को सभ्यता बनाती है उसे विकास से विपरीत दिषा मे ले जाती है इसलिए कहा गया है अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाडता है।
प्रश्नः-10 मन के हारे हार है मन के जीते जीत है भाव विस्तार कीजिए ।
उत्तर-जीवन मे सफलता और असफलता मन के कारण मिलती है मन की घृणा संकल्प षक्ति निरन्तर कार्य में जुटाया रखती है इसमे सफलता मिल जाती है मन की दुर्बलता मावन मे निराष का संचार कर देती है असफलता ही हाथ लगती है जीवन के कर्म क्षेत्र में विजजी होने के लिए मन को सवल और संकल्पषील बनाने की आवष्यकता है।
//भाषा बोध//
प्रश्नः-1 भाषा किसे कहते है
उत्तर-उच्चारित ध्वनि संकेतो की सहायता से मनुष्य आपस में विचारो का आदान प्रदान करते है उसे भाषा कहते है।
प्रश्नः-2 भाषा की विषेषताए लिखिए
उत्तर-1. भाषा एक सामाजिक बस्तु है।
2. भाषा अर्जित सम्पत्ति है।
3. भाषा परमागत वस्तु है ।
4. भाषा चिरपरिवर्तन षील है।
5. भाषा का कोई अंमित स्वरूप नही है।
6. भाषा सदैव कठिनता से सरलता की और उमुख होती है।
प्रश्नः-2 मातृभाषा क्या समझाते हुये इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर- माता जिस बोली का प्रयोग करती है उस बोली को बालक सर्वप्रथम सीखता है उस भाषा को ही मातृभाषा कहते है।
1. मातृभाषा स्वतः ही आ जाती है। क्योकि यह माता पिता के मध्य परिवार में तथा स्थानीय परिवेष में बोली जाती है।
2. मातृभाषा के माध्यम से अध्ययन प्रारम्भ होता है।
प्रश्नः-2 मातृभाषा का ज्ञान कराना क्यो आवष्यक है
उत्तर- बच्चे को जो भाषा अपने माता पिता और परिजनो से स्वभाविक रूप से सीखने को मिलती है वह उसकी मातृभाषा होती है यह एक प्रकार से काम काज की भाषा होती है तथा परिवार के लोगो के बीच भाव विचारो के आदान प्रदान का माध्यम होती है। अतः मातृभाषा का ज्ञान प्राप्त करना आवष्यक है।
प्रश्नः-2 राष्ट्रभाषा किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यो के लोगो द्वारा अपनाई जाने बाली भाषा को राष्ट्रभाषा कहते है।
विषेषताए-
1. राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण राष्ट्र की सबकी होती है
2. राष्ट्रभाषा का रूप व्यापक होता है।
3. राष्ट्रभाषा का व्यवहार पूर्ण राष्ट्र मंे होता है।
4. राष्ट्रभाषा सम्पूर्ण देष की संस्कृति एवं आदर्षाे को अभिव्यक्त करती है।
5. राष्ट्रभाषा अन्य भाषाओ एवं विभाषाओ की प्रकृ ितमे सहायक होती है।
प्रश्नः-2 राजभाषा किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -जिस भाषा में सरकारी काम काज में होता है उसे राजभाषा कहते है इसे अंग्रेजी मे आॅफिषियल राजभाषा लेग्वेंज कहते है।
विषेषताए-
1. यह सरकारी काम काज की भाषा होती है।
2. क्षेत्रीय भाषा की राजभाषा होती है।
3. कार्य निर्णय षिक्षा का माध्यम रेडियो और दूरदर्षन मे राजभाष का प्रयोग होता है।
4. राजभाषा का क्षेत्र सीमित होता है ।
5. राजभाषा किसी भी विषेष राज्य मे ही मान्य होती है।
प्रश्नः-2 विभाषा किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर -जब कोई वोली धार्मिक श्रेष्ठता अथवा भौगोलिक विस्तार के कारण किसी प्रान्त व उपरान्त मंे प्रचलित हो जाती है।
विषेषताए-
1. विभाषा का क्षेत्र बोली से अधिक व्यापक होता है
2. यह किसी प्रदेष मेे बडे हिस्से में सामालिक व्यवहार या साहित्य में प्रयोग की जाती है।
3. विभाषा बोली का अर्धरूप है।
4. विभाष किसी विषेष प्रान्त तक सीमित रह जाती है।
प्रश्नः-2 बोली किसे कहते इसकी विषेषताए लिखिए
उत्तर-स्थानीय भाषा को बोली को बोली कहते है बोली भाषा की लघुतम इकाई है।
विषेषताए-
1. बोली स्थानीय व घरेलू होती है।
2. इसका क्षेत्र सीमित होता है।
3. बोली भाषा की लघुतम इकाई है।
4. बोली में साहित्य नही होता है।
प्रश्नः-2 भाषा और बोली में अन्तर लिखिए ।
उत्तर-
भाषा
बोली
भाषा की बोली का विकसित रूप है
बोली भाषा की लघुतम इकाई है
भाषा क्षेत्र विस्तृत होता है
बोली क्षेत्र सीमित होता है
भाषा साहित्य होता है।
बोली साहित्य नही होता है।
प्रश्नः-2 भाषा और राजीभाषा में अन्तर लिखिए ।
उत्तर-
भाषा
राजभाषा
भाषा का संबंध संम्पूर्ण राष्ट से होता है
राजभाषा का संबंध किसी राज्य विषेष से होता है।
भाषा का साहित्य सर्वमान्य एव सर्वक्षेपिक होता है
राजभाषा किसी विषेष राज्य में ही मान्य होती है।
भाषा क्षेत्र विस्तृत होता है
राजभाषा क्षेत्र सीमित होता है
प्रश्नः-2 भाषा और विभाषा में अन्तर लिखिए ।
उत्तर-
भाषा
विभाषा
भाषा की बोली का विकसित रूप है
विभाषा की बोली का अर्ध विकसित रूप है
भाषा में प्रचुर साहित्य होता है।
विभाषा मे कम साहित्य होता है।
भाषा व्यापक क्षेत्र प्रचलित होता है
विभाषा प्रान्त विषष तक ही सीमित रह जाती है।
प्रश्नः-2 मध्यप्रदेष में बोली जानें बाली चार बोलियो के नाम लिखिए
उत्तर-
1. बुन्देलखण्डी- यह बोली बुन्देल क्षंेत्र में बोली जाती है जैसे- ,टीकमगढ, छत्तरपुर, सागर आदि ।
2. छत्तीसगढी-यह बोली छत्तीसगढ में बोली जाती है। जैसे - दुर्ग, रायपुर ,विलासपुर आदि ।
3. बद्येली -यह बाली सहडोल सतना रावा आदि क्षेत्रो मे बाली जाती है।
4. मालवी - इसका प्रयोग मालवा क्षेत्र में होता है यह रतलाम ,उज्जैन आदि में बोली जाती है।
//निबंध //
इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता
1. प्रस्तावना
2. इन्टरनेट का परिचय
3. इन्टरनेट से लाभ
4. इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता
5. उपसंहार
1. प्रस्तावना - एक समय था जब न तो यातायात के पर्याप्त साधन थे और न ही संचार की अत्यन्न सुविधाए तक व्यक्ति पडोसी नगर अथवा गाॅव तक के समाचार पत्र प्राप्त नही हो पाते थें परन्तु जैसे ही संविधा का विकास की ओर प्रसार हुआ और बैसे वैसे वैज्ञानिक उपाधान नेे ईष्वर की बनाई इस दुनिया को बहुत छोटा कर दिया और रेल टेलिविजन की जानकारी इन्टरनेट की जा सकती है।
2. इन्टरनेट का परिचय - इन्टरनेट अत्याधुनिक प्रोद्योगिकी है जिसमे अनगिनत कम्प्यूटर एक नेटवर्क से होते है। प्रोग्राम इन्टरनेट न कोई साॅॅफटवेयर अपितु यह तो एक ऐसा स्थान है जहो अनेक सूचनाए एवं जानकारी उपकरणो की सहायता से मिलती है। इन्टरनेट के माध्यम से मिलने वाली सूचनाओ में विष्वभर की व्यक्ति और संगठनो का संयोग रहता है उन्हे नेटवर्क आॅफ सर्वेस कहा जाता है। यह एक वर्ड वाइव वेव ूूू है। जो हजारो सर्विसस को जोडता है।
3. इन्टरनेट से लाभ - इन्टरनेट द्वारा विभिन्न प्रकार के दस्तावेज आदि सूची विज्ञापन समाचार हो जाती है। ये सूचनाए संसार में कही पर भी प्राप्त की जा सकती है। पुस्तको मे लिखे समाचार पत्र संगीत आदि सभी इन्टरनेट के माध्यम से प्राप्त किये जा सकते है संसार के किसी भी कौने में कही पर भी सूचना प्राप्त की जा सकती है। और भेजी जा सकती है। हमारे वयक्तिगत सामाजिक अघोगिक षिक्षा संस्क्ति आदि क्षे.त्रो में इन्टरनेट उपयोगी है
4. इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता - अत्यंन्त आवष्यक है षिक्षा ,स्वच्छ यात्रा पंजीकरण आवेदन आदि सभी कार्याे में इन्टरनेट सहयोगी है पढने वाली दुर्लभ पुस्तको को संसार के सभी कौनो में पढा जा सकता है और स्वच्छ संबंधी विस्तृत जानकारियां इन्टरनेट पर उपलब्ध होती है इन्टरनेट के द्वारा संसार के किसी भी विषिष्ट इन्टरनेट के द्वारा संसार व्यक्ति के विषय में जाना जा सकता है सभी प्रकार के टिकट घर बैठै इन्टरनेट से लिए जा सकते है। दैनिक जीवन की समस्याओ को हल करने वाले इन्टरनेट आज के जीवन के लिए आवष्यक बन गया है।
5. उपसंहार - समाज के प्रत्येक वर्ग में इन्टरनेट की बढती हुई स्वीकारता इस बात का स्पष्ट संकेत है। कि इस युवकी ने मावन जीवन में चमत्कार कर दिया है। किन्तु जैसा हम चाहते है कि कोई न कोई बुरी बात छुपी होती है। इन्टरनेट के दुष्परिणाम करने वाले इस अनोखी सुविधा का भी गलत प्रयोग किया है इससे भावी पीढी पर नैतिक एवं साणयक पतन का खतरा मडराने लगा है।
कम्प्यूटर आज के जीवन की आवष्यकता
1. प्रस्तावना
2. कम्प्यूटर का अनुप्रयोग
3. कम्प्यूटर का इतिहास
4. कम्प्यूटर का उपयोग
5. उपसंहार
1. प्रस्तावना- कम्प्यूटर मानव मन मसिष्क के विकास का अद्भुत रूप है। यह वैज्ञानिक अविष्कारो की श्रृखला का अद्भुत रतन है वह वैचारिक क्रिया कलाप को षीघ्र निपटारे के कारण आज के युग का कारामापी यंत्र है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज इसकी आवष्यता का अनुभव होने लगा है निष्चित ही 21 वीं षताब्दी कम्प्यूटर षाताब्दी के नाम से जानी जाएगी ।
2. कम्प्यूटर का अनुप्रयोग - प्रारम्भ में कम्प्यूटर अंक गणितय गणनाओ के लिए निर्मित हुये थे परन्तु आगे चलकर विभिन्न कार्याे में उन्हे प्रयुक्त किया जाने लगा है व्यवसायक व वैज्ञानिक क्षेत्रो में इसका अनुप्र्रयोग बडी तेजी से हो रहा है कार्यालय के वेतन के विवरण में सभी कर्मचारियो को सभी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है विक्रय का विष्लेषण का आय लेखा जोखा बाजार की घट पड भविष्य की संभावनाए इत्यादि के लिए कम्प्यूटर का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है बैको मे कार्य अत्याधिक बढ रहा है इस लिए वहाॅ भी कम्प्यूटर का उपयोग बहुत अधिक हो रहा है।
3. कम्प्यूटर का इतिहास - यह बात 1000 ई. पूर्व की है जब जापान के अन्तर्गत ऐवेक्स नामक यंत्र तैयार किया गया इसके माध्यम से गणित के प्रष्नो का हल किया जाता है था फ्रांस में प्रतिभाषाली युवा का जन्म हुआ जिसका नाम ब्लेन पेस्कल था इसमे सन् 1673 ई. में कम्प्यूटर की अविष्कार का सिरे इग्लेण्ड के चानर्स वैवेज है यह बहुत ही कुषल गणितज्ञ था इन्होने यह कार्य 1833 ई. में सम्पन्न किया है।
4. कम्प्यूटर का उपयोग - ओद्योगिक के क्षेत्र मे मषीनो तथा कारखानो का संचालन करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया गया है आज अन्त में विज्ञान कम्प्यूटर रामवाण सिद्ध हुआ है आज जिन्दगी का कोई भी ऐसा घरेलु ष्षेष नही बचा इसमे कम्प्यूटर का प्रयोग नही हो रहा है इससे वायुयान , रेलो मे आरक्षण सम्मान किया जा रहा है। और बडी बडी बीमारिया समय रहते पता लगाया जा सकता है चाय चिकित्सया हो या चुनाव हो युद्ध का मैदान एवं मौसम के विषय की जानकारी तुरन्त प्राप्त होती है।
5. उपसंहार-भारत में कम्प्यूटर की प्रकृति को प्रत्येक क्षेत्र मे देखा जा सकता है। इसके माध्यम से विकास की गति में आषातीत प्रकृति हुई रोविट तो खास रूप में मानव मन मतिष्क प्रमाण है परन्तु दसके प्रयोग में अत्याधिक ध्यान केन्द्र करना होता है कम्प्यूटर ने आज जा कुछ उपलब्ध किया है। वह बुद्ध जीवियो की महत्व में पूर्वा पूण देन है किन्तु फिर भी हमे कम्प्यूटर पूर्ण रूप से निर्भर न रहकर अपने अस्तित्व के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
भारतीय समाज मे नारी का सम्मान
1. प्रस्तावना -
2. वैदिक काल मे नारी -
3. मध्ययोग में नारी -
4. आधुनिक नारी -
5. चिन्ता का विषय-
6. उपसंहार -
1. प्रस्तावना - नारी सृष्टि की आधर षिला है उसके बिना हर रचना अधूरी है वह पुरूष की माता भी है प्रेमिका भी है सहचारी भी है और संयोगनी भी है भारत की संस्कृति में नारियो को महिमामय एवं गरिमा मय स्थान प्राप्त है अतः यत्र नार्यस्तु पूजन्ते तत्र देवता रमन्ते । अर्थात जहाॅ नारियो की पूजा होती है वहाॅ देवता निवास करते है। यह भारतीय की नारी दृष्टि का परिचायक है।
2. वैदिक काल मे नारी - वेदिक युग में नारी का सम्मान जनक स्थान प्राप्त था उसकी षिक्षा दीक्षा की उचित व्यावस्था भी उसके बिना कोई भी धार्मिक कार्य पूरा नही होता था नारी का सम्मान सर्वोपरी माना जाता है उस समय की नारी सभ्य सुसंस्कृति एवं सुषिक्षित थी गर्मी मेैदानी उसके ज्वलन्त उदाहरण है वैदिक काल में परिवार के सभी निर्णय लेने का अधिकार नारी को ही प्रधान किया गया है।
3. मध्ययोग में नारी - मध्ययुग तक आते आते नारी की सामाजिक स्थिति देवी बन गई है। भगवान बुद्ध द्वारा नारी को सम्मान दिये जाने पर भारतीय समाज में नारी के गौरव का हिराष होने लगा फिर भी वह पुरूष के साथ समाजि कार्याे में भाग लेती चली गई सहभागनी और सम्मान अधिकार का स्वरूप पूरी तरह समाप्त नही हो पाया था तक मध्यकाल मे षासको की दृष्टि से नारी के बचने के लिए प्रत्येक प्रत्येयक किये जाने लगे नारी वह कन्या के रूप में पिता पर पत्नि के रूप मे पति पर माॅ के रूप मे पुत्र पर आकर्षित होती चली गई है नारी पुरूष प्रधान समाजिक व्यावस्था में वह मात्र एक दासी बनकर रह गई।
4. आधुनिक नारी - आधुनिक काल के आते आते नारी चेतना का भाव उत्कृष्ट रूप में जाग्रत हुआ मांग मांग की दास्ता से पीढी पंीडित नारी के प्रति एक सहानभूति अपना जाने लगी बंगाल मे राजाराम मोहनराय और उत्तर भारत में दयानन्द सरस्वती ने नारी को पुरूष के अत्याचार की छाया से मुक्त कराने को क्रान्ति का बुगल बजाया नारियो ने समाजिक धार्मिक राजनैतिक सहात्मक सभी क्षेत्रो मे आगे बढकर कार्य किया है स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार मे नारियो की स्थिति सुधरने के लिए अनेक परिवर्तन किये और नारियो को पुरूष के सभी अधिकार दिलाकर भूमि पर लाकर खडा कर दिया।
5. चिन्ता का विषय- यह बात सत्य है कि आज नारी अपने महत्व को समझने में सॅल हे लेकिन नारी के षोषण एवं उत्पीडन की घटनाए निरन्तर बड रही है समाज में पुत्री की अपेक्षा पुत्र के जन्म को अत्याधिक महत्व दिया जाता है ग्रामीण मंे नारियो अन्धविष्पासो एवं कुरूरीतियो के भ्रम जाल मंे फसी है और षिक्षा के अभाव में आर्थिक दृष्टि से असफल है अपने आवष्यकताओ की पूर्ति के लिए वह पूरी तरह से पुरूषो पर निर्भर है ।
6. उपसंहार - आज की नारी अपने पाॅव पर खडी हुई है आज भारतीय नारी गुलामी की जंजीरो को छिन्न भिन्न करके उच्च षिक्षा प्राप्त कर रही है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरूषो के साथ रहकर उत्तम कार्याे का प्रदर्षन कर रही है उनका भविष्य उज्जैन एवं मंगल में है नारी पूजा की मांग है स्त्री घर की ज्योति है। स्त्री ग्रह की संरक्षात घर की लक्ष्मी है।