//निबंध //
इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता
1. प्रस्तावना
2. इन्टरनेट का परिचय
3. इन्टरनेट से लाभ
4. इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता
5. उपसंहार
1. प्रस्तावना - एक समय था जब न तो यातायात के पर्याप्त साधन थे और न ही संचार की अत्यन्न सुविधाए तक व्यक्ति पडोसी नगर अथवा गाॅव तक के समाचार पत्र प्राप्त नही हो पाते थें परन्तु जैसे ही संविधा का विकास की ओर प्रसार हुआ और बैसे वैसे वैज्ञानिक उपाधान नेे ईष्वर की बनाई इस दुनिया को बहुत छोटा कर दिया और रेल टेलिविजन की जानकारी इन्टरनेट की जा सकती है।
2. इन्टरनेट का परिचय - इन्टरनेट अत्याधुनिक प्रोद्योगिकी है जिसमे अनगिनत कम्प्यूटर एक नेटवर्क से होते है। प्रोग्राम इन्टरनेट न कोई साॅॅफटवेयर अपितु यह तो एक ऐसा स्थान है जहो अनेक सूचनाए एवं जानकारी उपकरणो की सहायता से मिलती है। इन्टरनेट के माध्यम से मिलने वाली सूचनाओ में विष्वभर की व्यक्ति और संगठनो का संयोग रहता है उन्हे नेटवर्क आॅफ सर्वेस कहा जाता है। यह एक वर्ड वाइव वेव ूूू है। जो हजारो सर्विसस को जोडता है।
3. इन्टरनेट से लाभ - इन्टरनेट द्वारा विभिन्न प्रकार के दस्तावेज आदि सूची विज्ञापन समाचार हो जाती है। ये सूचनाए संसार में कही पर भी प्राप्त की जा सकती है। पुस्तको मे लिखे समाचार पत्र संगीत आदि सभी इन्टरनेट के माध्यम से प्राप्त किये जा सकते है संसार के किसी भी कौने में कही पर भी सूचना प्राप्त की जा सकती है। और भेजी जा सकती है। हमारे वयक्तिगत सामाजिक अघोगिक षिक्षा संस्क्ति आदि क्षे.त्रो में इन्टरनेट उपयोगी है
4. इन्टरनेट आज के जीवन की आवष्यकता - अत्यंन्त आवष्यक है षिक्षा ,स्वच्छ यात्रा पंजीकरण आवेदन आदि सभी कार्याे में इन्टरनेट सहयोगी है पढने वाली दुर्लभ पुस्तको को संसार के सभी कौनो में पढा जा सकता है और स्वच्छ संबंधी विस्तृत जानकारियां इन्टरनेट पर उपलब्ध होती है इन्टरनेट के द्वारा संसार के किसी भी विषिष्ट इन्टरनेट के द्वारा संसार व्यक्ति के विषय में जाना जा सकता है सभी प्रकार के टिकट घर बैठै इन्टरनेट से लिए जा सकते है। दैनिक जीवन की समस्याओ को हल करने वाले इन्टरनेट आज के जीवन के लिए आवष्यक बन गया है।
5. उपसंहार - समाज के प्रत्येक वर्ग में इन्टरनेट की बढती हुई स्वीकारता इस बात का स्पष्ट संकेत है। कि इस युवकी ने मावन जीवन में चमत्कार कर दिया है। किन्तु जैसा हम चाहते है कि कोई न कोई बुरी बात छुपी होती है। इन्टरनेट के दुष्परिणाम करने वाले इस अनोखी सुविधा का भी गलत प्रयोग किया है इससे भावी पीढी पर नैतिक एवं साणयक पतन का खतरा मडराने लगा है।
कम्प्यूटर आज के जीवन की आवष्यकता
1. प्रस्तावना
2. कम्प्यूटर का अनुप्रयोग
3. कम्प्यूटर का इतिहास
4. कम्प्यूटर का उपयोग
5. उपसंहार
1. प्रस्तावना- कम्प्यूटर मानव मन मसिष्क के विकास का अद्भुत रूप है। यह वैज्ञानिक अविष्कारो की श्रृखला का अद्भुत रतन है वह वैचारिक क्रिया कलाप को षीघ्र निपटारे के कारण आज के युग का कारामापी यंत्र है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज इसकी आवष्यता का अनुभव होने लगा है निष्चित ही 21 वीं षताब्दी कम्प्यूटर षाताब्दी के नाम से जानी जाएगी ।
2. कम्प्यूटर का अनुप्रयोग - प्रारम्भ में कम्प्यूटर अंक गणितय गणनाओ के लिए निर्मित हुये थे परन्तु आगे चलकर विभिन्न कार्याे में उन्हे प्रयुक्त किया जाने लगा है व्यवसायक व वैज्ञानिक क्षेत्रो में इसका अनुप्र्रयोग बडी तेजी से हो रहा है कार्यालय के वेतन के विवरण में सभी कर्मचारियो को सभी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है विक्रय का विष्लेषण का आय लेखा जोखा बाजार की घट पड भविष्य की संभावनाए इत्यादि के लिए कम्प्यूटर का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है बैको मे कार्य अत्याधिक बढ रहा है इस लिए वहाॅ भी कम्प्यूटर का उपयोग बहुत अधिक हो रहा है।
3. कम्प्यूटर का इतिहास - यह बात 1000 ई. पूर्व की है जब जापान के अन्तर्गत ऐवेक्स नामक यंत्र तैयार किया गया इसके माध्यम से गणित के प्रष्नो का हल किया जाता है था फ्रांस में प्रतिभाषाली युवा का जन्म हुआ जिसका नाम ब्लेन पेस्कल था इसमे सन् 1673 ई. में कम्प्यूटर की अविष्कार का सिरे इग्लेण्ड के चानर्स वैवेज है यह बहुत ही कुषल गणितज्ञ था इन्होने यह कार्य 1833 ई. में सम्पन्न किया है।
4. कम्प्यूटर का उपयोग - ओद्योगिक के क्षेत्र मे मषीनो तथा कारखानो का संचालन करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया गया है आज अन्त में विज्ञान कम्प्यूटर रामवाण सिद्ध हुआ है आज जिन्दगी का कोई भी ऐसा घरेलु ष्षेष नही बचा इसमे कम्प्यूटर का प्रयोग नही हो रहा है इससे वायुयान , रेलो मे आरक्षण सम्मान किया जा रहा है। और बडी बडी बीमारिया समय रहते पता लगाया जा सकता है चाय चिकित्सया हो या चुनाव हो युद्ध का मैदान एवं मौसम के विषय की जानकारी तुरन्त प्राप्त होती है।
5. उपसंहार-भारत में कम्प्यूटर की प्रकृति को प्रत्येक क्षेत्र मे देखा जा सकता है। इसके माध्यम से विकास की गति में आषातीत प्रकृति हुई रोविट तो खास रूप में मानव मन मतिष्क प्रमाण है परन्तु दसके प्रयोग में अत्याधिक ध्यान केन्द्र करना होता है कम्प्यूटर ने आज जा कुछ उपलब्ध किया है। वह बुद्ध जीवियो की महत्व में पूर्वा पूण देन है किन्तु फिर भी हमे कम्प्यूटर पूर्ण रूप से निर्भर न रहकर अपने अस्तित्व के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
भारतीय समाज मे नारी का सम्मान
1. प्रस्तावना -
2. वैदिक काल मे नारी -
3. मध्ययोग में नारी -
4. आधुनिक नारी -
5. चिन्ता का विषय-
6. उपसंहार -
1. प्रस्तावना - नारी सृष्टि की आधर षिला है उसके बिना हर रचना अधूरी है वह पुरूष की माता भी है प्रेमिका भी है सहचारी भी है और संयोगनी भी है भारत की संस्कृति में नारियो को महिमामय एवं गरिमा मय स्थान प्राप्त है अतः यत्र नार्यस्तु पूजन्ते तत्र देवता रमन्ते । अर्थात जहाॅ नारियो की पूजा होती है वहाॅ देवता निवास करते है। यह भारतीय की नारी दृष्टि का परिचायक है।
2. वैदिक काल मे नारी - वेदिक युग में नारी का सम्मान जनक स्थान प्राप्त था उसकी षिक्षा दीक्षा की उचित व्यावस्था भी उसके बिना कोई भी धार्मिक कार्य पूरा नही होता था नारी का सम्मान सर्वोपरी माना जाता है उस समय की नारी सभ्य सुसंस्कृति एवं सुषिक्षित थी गर्मी मेैदानी उसके ज्वलन्त उदाहरण है वैदिक काल में परिवार के सभी निर्णय लेने का अधिकार नारी को ही प्रधान किया गया है।
3. मध्ययोग में नारी - मध्ययुग तक आते आते नारी की सामाजिक स्थिति देवी बन गई है। भगवान बुद्ध द्वारा नारी को सम्मान दिये जाने पर भारतीय समाज में नारी के गौरव का हिराष होने लगा फिर भी वह पुरूष के साथ समाजि कार्याे में भाग लेती चली गई सहभागनी और सम्मान अधिकार का स्वरूप पूरी तरह समाप्त नही हो पाया था तक मध्यकाल मे षासको की दृष्टि से नारी के बचने के लिए प्रत्येक प्रत्येयक किये जाने लगे नारी वह कन्या के रूप में पिता पर पत्नि के रूप मे पति पर माॅ के रूप मे पुत्र पर आकर्षित होती चली गई है नारी पुरूष प्रधान समाजिक व्यावस्था में वह मात्र एक दासी बनकर रह गई।
4. आधुनिक नारी - आधुनिक काल के आते आते नारी चेतना का भाव उत्कृष्ट रूप में जाग्रत हुआ मांग मांग की दास्ता से पीढी पंीडित नारी के प्रति एक सहानभूति अपना जाने लगी बंगाल मे राजाराम मोहनराय और उत्तर भारत में दयानन्द सरस्वती ने नारी को पुरूष के अत्याचार की छाया से मुक्त कराने को क्रान्ति का बुगल बजाया नारियो ने समाजिक धार्मिक राजनैतिक सहात्मक सभी क्षेत्रो मे आगे बढकर कार्य किया है स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार मे नारियो की स्थिति सुधरने के लिए अनेक परिवर्तन किये और नारियो को पुरूष के सभी अधिकार दिलाकर भूमि पर लाकर खडा कर दिया।
5. चिन्ता का विषय- यह बात सत्य है कि आज नारी अपने महत्व को समझने में सॅल हे लेकिन नारी के षोषण एवं उत्पीडन की घटनाए निरन्तर बड रही है समाज में पुत्री की अपेक्षा पुत्र के जन्म को अत्याधिक महत्व दिया जाता है ग्रामीण मंे नारियो अन्धविष्पासो एवं कुरूरीतियो के भ्रम जाल मंे फसी है और षिक्षा के अभाव में आर्थिक दृष्टि से असफल है अपने आवष्यकताओ की पूर्ति के लिए वह पूरी तरह से पुरूषो पर निर्भर है ।
6. उपसंहार - आज की नारी अपने पाॅव पर खडी हुई है आज भारतीय नारी गुलामी की जंजीरो को छिन्न भिन्न करके उच्च षिक्षा प्राप्त कर रही है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरूषो के साथ रहकर उत्तम कार्याे का प्रदर्षन कर रही है उनका भविष्य उज्जैन एवं मंगल में है नारी पूजा की मांग है स्त्री घर की ज्योति है। स्त्री ग्रह की संरक्षात घर की लक्ष्मी है।