सभी कवियों के कला पक्ष और साहित्य में स्थान हिंदी ग्रामर

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सभी कवियो के कलापक्ष और साहित्य में स्थान
1.   कलापक्ष - आपका कलाा पक्ष भी भाव पक्ष की तरह श्रेष्ठ है आपकी भाषा परिभाषित हो जिसमे षब्दो का चयन अनूठा है कम से कम षब्दो में अधिक मर्मस्पर्षी अर्थ की अभिव्यक्ति की क्षमता होने के कारण गागर मे सागर भरने की कहावत आपके काव्य मेे खरी उतरती है आपके काव्य के कारण कई भद्दापन नही आया हैं आपकी भाषा भावो के अनुकूल है काव्य मे ताजगी और सहजता है यदपि आपके कलापक्ष को सबल बनाने का प्रयास नही किया गया है फिर भी आपका कलापक्ष सुन्दर है।2.   साहित्य में स्थान - आपको हिन्दी साहित्य मे आपका कला पक्ष और भाव पक्ष दोनो ही स्मरणीय है तथा उच्चकोटी के है आप हिन्दी साहित्य के कवि सम्राट है आपका काव्य जन जीवन के लिए प्रेरणा स्त्रोत वन गया है आपका व्यक्तित्व सारे हिन्दी साहित्य में अनुपम है। तुलसीदास जी का जीवन परिचय 1.    रचनाएॅ- रामचरित्र मानस , विनय पत्रिका, कवितावली ,गीतावली , जानकी         मंगल आदि रचनाऐ।2.    भाव -पक्ष - तुलसीदास जी का भाव जगत के सग्रह उनकी रचनाओ में धार्मिक , सामाजिक , दार्षिनिक , भावो का सागर लहराता है। तुलसीदास जी मर्यादा कवि थे जाति वादि का भेद भाव वे एक सीमा तक पहुचकर स्वीकार करते थे लेकिन भक्ति के स्तर पर पहुचकर उचे नीचे भावो को एक दम अस्वीकार करते थे तुलसीदास जी की रचनाओ मंे रूपक ,अनुप्रास , अन्योक्ति आदि अलंकारो का सुन्दर प्रयोग किया है। उनकी कविता भेदो जैसी पवित्र तथा खीर जैसी स्वादिष्ट है।जयषंकरप्रसाद जी का जीवन परिचय 1.    रचनाएॅ- कामायनी ,लहर ,आॅसू, झरना, प्रेम पवित्र,आदि रचनाऐ है।2.    भाव -पक्ष - जयशंकर प्रसाद छायावाद के जनक तथा प्रतिनिधि कवि है प्रसाद जी ने आपने अपने महाकाव्य कामयानी मे समरस्ता का संदेष दिया है। इनके महाकाव्य मे दार्षानिकता का पुट भी देखा जा सकता है इनका साहित्य भक्ति और ओज का साहित्य है उसमे उत्साह और उमंग का आलोक है प्रेम करूणा और सौन्दर्य की आभा झलकती है उनके काव्य में प्राकृति छवियो के साथ ही प्राकृति प्रतिको का अतुल्य सौन्दर्य है। सूरदास जी का जीवन परिचय  1.   रचनाएॅ- सूरसागर ,सूरसारावली , साहित्स लहरी इन्होने जीन ही रचनाओ का सृजन किया है।2.    भाव -पक्ष- महाकवि सूरदास भगवान श्री कृष्ण के अन्यन भक्त थे उन्होने कृष्ण की लीलाओ का वर्णन अपने स्मपूर्ण काव्य मे किया है जिसमे बाल लीला , राधा कृष्ण का प्रेम ,और गोपियो के विरह के पीडा का प्रधान किया है सूरदास जी वात्सल्य रस के साम्राट है उनके काव्य मे बालको की क्रीडा चपलता के अनेक उदाहरण मिलते है कि सूरदास जी बाल मनो विज्ञान के ज्ञाता तथा कुषल चित्राकार थे।कबीरदास जी का जीवन परिचय 1.    रचनाएॅ- कबीरदास जी की रचनाओ को तीन रूप में विभक्त किया गया है1.    षाखी2.    सवद3.    रमेनीमैथलीषरण गुप्त जी का जीवन परिचय     भाव -पक्ष- कबीरदास जी निगुण  ब्र्रम्ह के उपासक थे कबीरदास जी के काव्यो में आत्मा और परमात्मा के संबंधो की स्पष्ट व्याख्या मिलती है कबीर ने अपने काव्य में परमात्मा को प्रियतम एवं आत्मा को प्रेषसी के रूप में चित्ररण किया है सामाजिक जीवन में फेली बूराइयो को मिटाने के लिए कबीर की वाणी कर्कष हो उठी और कबीर ने सामाजिक बुराइयो का खण्डन तो किया ही है बल्कि आदर्ष जीवन के लिए नीति पूर्ण उपदेष भी दिया है।1.     रचनाएॅ- साकेत ,भारतभारतीय , जयभारत, पंचवटी , गृरूकुल , यषोधरा आदि रचनाए है।2.     भाव -पक्ष - राष्टीय भावनाओ का जाग्रत करना आपके काव्य की विषषताए है इतिहासिक प्रसंगो को आपने बडे ही रोचक एवं मार्मिक ढंग से आपने काव्य में समाहित किया है राष्टीय भावनाओ पर आपके काव्य में गहन चिन्तन के दर्षन होते है प्राचीन भारतीय संस्कृति में गहन आस्था रखने के साथ साथ गुप्त जी का ह्र्रदय राष्टीय भावनाओ से ओत प्रोत है।xx
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