ब्रह्मचर्य ही जीवन है ......................

1

  •                                           ब्रह्मचर्य ही जीवन है र वीर नाथ से ही मृत्यु है
  • ब्रह्मचर्य ही जीवन है और वीर नाथ से ही मृत्यु है यह है जब शरीर में से चैतन्य निकल जाता है तब उसके साथ ही साथ रक्त और वीर्य दो जीवन पद्धति मृत्यु के बाद सीरवी खराब हो जाते हैं और उनका पानी बन जाता है जिस मनुष्य को हैजा होता है उसके रक्त का पानी बनने लग जाता है और वही पानी फिर के और दस्त के द्वारा बाहर निकलने लगता है कोई अंग काटने पर भी उसके शरीर से खून नहीं निकलता पश्चात वह बहुत जल्द मृत्यु को प्राप्त होता है अतः यह सिद्ध है कि जब तक मनुष्य के शरीर में रक्त  ब बीर यह दो चीजें मौजूद हैं तभी तक वह जीवित रह सकता है और उनका नाश होने से उसका भी तत्काल नाश हो जाता है जितना मनुष्य वीर का नाश करता है उतना ही वीर विहीन बन जाता है मृत्यु और मृत्यु की ओर बराबर झुकता जाता है
  •  जितना अधिक मनुष्य वीर को धारण करता है उतना ही अधिक बहे सजीव बनता जाता है उसमें शक्ति तेज निश्चय सामर्थ को सद्बुद्धि सिद्धि और ईश्वर तत्व प्रकट होने लगते हैं और वह दीर्घकाल प्रयत्न जीवन लाभ कर सकता है वहीं पुरुष को कोई भी तार नहीं सकता और बीरभानपुर उसको कोई भी रोग असफल में मार नहीं सकता दुर्बल ही सब कोई सताते हैं देबू दुर्बल घातक यह प्रकृति का नियम है सच पूछेगी वीर ही अमृत है इसी की रक्षा करने से हड़ताल धारण करने से मनुष्य अजर अमर होता है भीष्म पितामह इसी संजीवनी शक्ति के कारण अजर यानी कि अकाल में मृत्यु ना पाने वाले और इतने सामर्थ संपन्न हुए हैं थे कि 
  • यदि हम भी इसकी रक्षा करें हर तस्वीर रोककर ब्रह्मचर्य धारण करेंगे तो हम भी वैसे ही प्रभावशाली और उन्नति बन सकते हैं क्योंकि वीर रक्षा ही आत्मा का रहस्य है और इसी में जीवन मात्र का जीवन है क्या तुम जीवित रहना चाहते हो तब फिर तुम्हें अवश्य ही वीर के ना से बचना होगा और इस में दिए हुए नियमों का नियमों के अनुसार मन क्रम वचन से चलना होगा जो मनुष्य नियमों के अनुसार केवल दो ही साल तक चलेगा उसका जीवन प्रवाह बिल्कुल ही बदल जाएगा शरीर और मन में अद्भुत परिवर्तन होगा परमात्मा विषय आत्मा बन जाएगा विचारी भी ब्रह्मचारी बन जाएगा और दुर्बलता भी साधु महात्मा बन सकेगा पर 
  • यदि कोई जीवन प्रयत्न इन नियमों के अनुसार चले तो फिर कहना ही क्या है इसमें ही देवता कितने बन जाएगा इसमें कोई संदेह नहीं है प्रत्येक मनुष्य शक्ति बात कर रही है दया क्षमा शांति परोपकार भक्ति प्रेम वीरता स्वतंत्रता और कुकर्म से अरुचि इन सब की अंकुर हृदय में रखे हुए हैं चाहे उन्हें सीज कर चढ़ाव जाए सुखा दो परमात्मा सब को बुद्धि प्रदान करें और उनका उद्धार करें

Post a Comment

1Comments
Post a Comment