ब्रह्मचर्य का पालन का उदाहरण
एक राजा स्वामी दयानंद के दर्शन करने के लिए घोड़ों की बग्गी पर आए स्वामी जी ने उन्हें ब्रह्मचर्य का उपदेश दिया राजा ने कहा स्वामी जी आप तो पूर्ण ब्रह्मचारी हैं ब्रह्मचर्य का बल हमें भी बताइए स्वामी जी ने उत्तर दिया अवसर पर आपको उत्तर दूंगा राजा की बग्गी पर बैठ गए और कोच वालों ने घोड़ों को चाबुक लगाई घोड़ों के पांव उठे पर भी एक कदम भी आगे ना बढ़ सके कोतवाल चाबुक पर चाबुक बरसाने लगा और घोड़े एड़ी चोटी का बल लगाकर आगे बढ़ने का प्रयत्न करने लगे किंतु बग्गी टस से मस ना हुई राजा और कुछ वालों ने पीछे घूम कर देखा तो स्वामी जी एक हाथ से बग्गी को पहिए को पकड़कर खड़े-खड़े मंद मंद मुस्कुरा रहे थे उन्होंने केवल इतना कहा आपको अपनी प्रश्न का उत्तर मिल गया यह ब्रह्मचर्य का पालन का उदाहरण है
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ब्रह्मचर्य केवल पहलवानी का नाम है कई लोग उसे ब्रह्मचारी समझती है जिसका विवाह ना हुआ हो वसुता वह ब्रम्हचर्य का संकुचित अर्थ है 7 वर्ष की आयु से लेकर 25 वर्ष की आयु तक के जीवनकाल को ब्रह्मचर्य आश्रम कहते हैं जबकि विद्यार्थी गुरु के आश्रम में रहकर शरीर बल और मन बुद्धि का विकास करता है अतः ब्रह्मचर्य के तीन शर्ते हैं उत्तम विद्या का विकाश शक्ति संचय और शरीर विकास तथा आत्मिक उन्नति जो युवक या किशोर इन तीनों शर्तों को पूर्ण करता है वही ब्रह्मचारी है अन्यथा अविवाहित तो चोर डाकू और गवार गुंडे भी हो सकते हैं उन्हें भी ब्रह्मचारी समझना भूल है यह इस पवित्र शब्द का अपमान है