अलंकार सभी अलंकार उदाहरण सहित ग्रामर हिंदी

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//अलंकार //
प्रश्नः-1 अलंकार किसे कहते है।
उत्तर - अंलकार का तात्पर्य होता है आभूषण जिस प्रकार सजने सवरने के लिय          वस्त्र ओर अभूषण की जरूरत पडती है उसी प्रकाष काव्य की षोभा की             बुद्धि करने वाले उपकरणो को अलंकार कहते है।
प्रश्नः-2 अलंकार कितने प्रकार के होते है।
उत्तर - अलंकार तीन प्रकार कार के होते है 1. षब्दालंकार 2. अर्थालंकार 3.              उभयलंकार
1.    षब्दालंकार - जिन अलंकारो में षब्दो के द्वारा चमत्कार होता है उसे अलंकार कहते है जैसे - अनुप्रास ,ष्लेष,यमक आदि ।
2.   अर्थालंकार - जिन अलंकारो मे अर्थाे के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है उसे अर्थालंकार होता है जैेसे- उपमा,रूपक,उत्प्रेक्षा आदि ।
3.   उभयालंकार - जिन अलंकारो मे षब्दो और अर्थाे के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है उसे उभयालंकार कहलाता है।
प्रश्नः-3 यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- जहाॅ एक ही षब्द की आवृति एक से अधिक वार हो लेकिन उसके अर्थ           भिन्न भिन्न हो उसे यमक अलंकार कहते है।
उदाहरण - 1. कनक कनक ते सो गुणी मादकता अधिकाय ।
             या पाये बोरत नर वा खाये बोरात ।।
1.    माला फेरन जुग गया, गया मनका फेर ।
करका मनका डारि के मनका -मनका फेर ।।
प्रश्नः-4 ष्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- ष्लेष का अर्थ चिपका हुआ जहाॅ एक षब्द से अधिक अर्थ निकलते है वहाॅ   ष्लेष अंलकार कहलाता है।
उदाहरण - रहिमन पानी राखिए, बिन पानी ाब सून।
           पानी गये न उबरे मोती मानस चून।।
प्रश्नः-5 उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर- जहाॅ एक बस्तु अथवा प्राणी की तुलना अत्यन्त सान्द्रता के कारण प्रसिद्ध          वस्तु या प्राणी से किय जाती है। वहाॅ उपमालंकार होता है।
उदाहरण -नंदन वन सी फूल उठी ।
         वह छोटी सी कुटिया मेरी।।
प्रश्नः-6 रूपक अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा काव्य मे उपये में उपमान का आरोप सिद्ध होता है वहाॅ रूपक              अलंकार होता है।
उदाहरण-चरण सरोज पखरान लागा
प्रश्नः-7 उत्प्रेक्षा अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा काव्य मे उपये में उपमान की सम्भावाना व्यक्त किय जाती है वहाॅ           उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण -जनू अषोक अंगार दीन है मृद्विका डारि तवा
         माना झूम रहे है तरू मंद पवन के झोके से
प्रश्नः-8 अन्योक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा किसी वस्तु को लक्ष्य मे रखकर कोई बात किसी दूसरे के लिए कही         जाती है वहाॅ अन्योक्ति अलंकार कहलाता है।
उदाहरण - माली आवत देखकर कलियन करी पुकार ।
           फूले फूले चुन लिए काली हमारी बाग।।
प्रश्नः-9 अतिष्योक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा पर किसी बात या विषय को अत्यन्त बडा चढाकर प्रस्तुत किया             जाता है वहाॅ अतिष्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण - हनुमान जी की पूछ मे लगन नही पाई आग।
           लंका सारी जरि गई गये निसाचर भाग ।ं।
प्रश्नः-10 वक्रोक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा कथित ध्वनि के द्वारा दूसरा अर्थ ग्रहण किया जाए वहाॅ वक्रोक्ति            अलंकार होता है।
उदाहरण - में सुकुमारि नाथा बन जोगू ।
           तुम्ही उचित तप मो कहू भोगू ।।
प्रश्नः-11 ब्याजस्तुति अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा निन्दा के बहाने किसी की प्रषंसा की जाती है देखने मंे निन्दा              लेकिन हो वास्तव प्रषंसा वह ब्याजस्तुति अलंकार होता है।
उदाहरण - जमुना तुम अभिवेकनी कौन लियो यह ब्रग
           पापिन सो निज बन्धु कौ मान करावत भंग
प्रश्नः-12 ब्याजनिन्दा अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा प्रषंसा के बहाने किसी की निन्दा की जाती है देखने मंे प्रषंसा              लेकिन हो वास्तव निन्दा वह ब्याजनिन्दा अलंकार होता है।
उदाहरण - तुम तो सखा ष्याम सुन्दर के ।
           सकल जोग के ईष।।
प्रश्नः-13 विभावना अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा कारक के उपस्थित न होने पर भी कार्य न होने पाया जाये जो वहाॅ    विभावना अलंकार होता है।
उदाहरण - बिनु पद चले सुने बिनु काना ।
           कर बिनु करम करे विधि नाना।।
                     अथवा
           आनन रहित संकल रस भोगी ।
           बिनु बानी बक्ता बड भोगी ।।
प्रश्नः-14 व्यतिरेक अलंकार परिभाषा उदाहरण साहित्य लिखिए
उत्तर - जहा उपमेय को उपमाना बताया जाए बहाॅ व्यातिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण - सिम सूूवरन सखमाकर सुखद न थोर।
          सिय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।
प्रश्नः-15 विषेषोकित अंलकार की परिभाषा उदा सहित समाझाइये
उत्तर -परिभाषा -जहाॅं कारण के उपस्थ्तिि होने पर भी कार्य नही होता वहाॅं             विषेषोकित अंलकार होता हैं।
 उदाहरण - इन नेनिन को कुछ उपजी बडी बलाय ।
           नीर भरे नित प्रिति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
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