मन की शांति

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मन की शांति
सुकून के पीछे भागते सुख पीछे भगते सारी जिन्दगी निकल जाती है। पर सुकून कही मिलता नहीं शान्ति की तलाषा में में निकलते है पर और भी षांन्ति से हमारा मन और हमारा जीवन घिर जाता है। क्या कारण है जो हमारा मन इतना अशांत हो गया सबसे पहली बात यह है कि हम भीतर से बहुत कमजोर है हर बात हम पर बहुत असर डालती है। थोडी सी खुषी आ जाये थेडा सा गम आ जाए हमारे विचार इतने पावरफुल नहीं भीतर से आत्मा की शक्ति हमरने लजाग्रत नहीं की है इस बात के ीाी कहीं कारण है। एक तो हमारा भय जो हम हर बात में डरते हे। कि कुछ गलत न हो जाये सबकुछ अच्छा पर जब तक हम कुछ करेगे नही ंतो पहले से हम नहीं जान सकते कि क्या होने वाला है। कुछ करेंगे अचदा हुा तो कुछ अच्दा अनुीाव प्राप्त होगा सफलता प्राप्त होगी यदि हम असफल भी हुये तो भी सीख्खने को मिलेगा और हम नये भागों की तलाष करेग जो भय के मारे कुछ करता ही नहीं उसकी तो मा़़त्रा शुरू नहीं हुई इस आदम को बदल और जीवन में अगे कदम बढाये अपवने भव्ष्यि के लिए चुनौतियों से गुजर कर ही इंसार महान बननता है। तो सबसे पहले डर ेक आगे हारना छोड थे।
भीतर से खुद को पवरफुल बनाने के लिए ऐसी बाते सुने ऐसी बात पढे ऐसी चीजे देखे जो हमं शक्ति दे जो विचार जो दृश्य जो बातें हमे भीतर से चोट पहुचाये कमजोर करे ऐसी बातों से खुद को बचायें जितना हो सके व्यर्थ की जानकारी जमा न करें।
ज्ीवन को एक नया लक्ष्य दे। और कहंा क्या हो रहा है। किसी घर में किसके भक्तिगत जीवन में इनसे बचे ऐसे बहुत से विषय जिनसे दूर-दूर तक हमारे जीवन का ोई लेना देना नहीं उनसे खुद को बचाये औश्र अच्दे सुख बिचारो को पढे सुने उससे हमारे विचारे में शक्ति आयेगी।
टाप नियमित 15 मिनट धन करे क्योंकि ध्यान हमें आम्ता की शक्ति देता है। हमारी आत्मा को पावरफुल बनाता है। हमें अपने विचारों पर कन्ट्रोल करने की षक्ति मिलती है नही ंतो इस समय में लोग किसी विचार मे उलझ जाते है। तो वहीं विचार बार बार चलता ही रहता है। चाह के भी उस विचार से खुद को छुडा नहीं पाते क्योंकि भीतर से हम इतने मजबूत ही नहीं है। रूकता ही नहीं वो विचार ध्यान से हमारे सोचने और समघ्ने की षक्ति का विकास होता है। आर हम हर परिस्थिति को बहतर समझ पाते हैं और जिससे हम जीवन की हर परिस्थितियों में बेहतर फैसल कर पायेगें ध्यान करने हमारे विचार पवित्र होने लगते है। जिससे मारे भीतर जो भी निगेटिव विचार जो हमारे भीतर धंस गये ै। वो सब बाहर निकल जो है। ध्यान स हम खद को प्रसनन एवं स्वस्थ अनुभव करते है। ध्यान का संबंध सिर्फ परमात्मा से नहीं ध्यान का संबंध हमारे मन और हमारे जीवन व षरीर से भी ै। ये सब रके हम भीतर से खद को परवरफुल और मजबूत बना सकते है।

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